🇮🇳 भगत सिंह: 36 क्रांतिकारी तथ्य सारणी
| क्रम | तथ्य / विवरण |
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| 1️⃣ | जन्म: 28 सितम्बर 1907, बंगा गाँव, लायलपुर, पंजाब (अब पाकिस्तान) |
| 2️⃣ | पिता: सरदार किशन सिंह; माता: विद्यावती कौर |
| 3️⃣ | चाचा अजीत सिंह — प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी |
| 4️⃣ | जलियाँवाला बाग हत्याकांड ने बचपन में क्रांति की चिंगारी जलाई |
| 5️⃣ | डीएवी स्कूल, लाहौर से प्रारंभिक शिक्षा |
| 6️⃣ | गांधीजी के असहयोग आंदोलन से प्रेरणा मिली |
| 7️⃣ | आंदोलन वापसी से निराश होकर क्रांतिकारी मार्ग चुना |
| 8️⃣ | नेशनल कॉलेज, लाहौर में अध्ययन |
| 9️⃣ | “नौजवान भारत सभा” की स्थापना — युवाओं को जागरूक करने हेतु |
| 🔟 | “हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन” (HSRA) के सदस्य |
| 1️⃣1️⃣ | लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने हेतु सॉन्डर्स की हत्या (1928) |
| 1️⃣2️⃣ | बटुकेश्वर दत्त के साथ असेम्बली में बम फेंका — “बहरों को सुनाने के लिए धमाका” |
| 1️⃣3️⃣ | बम फेंकने के बाद स्वयं गिरफ्तारी दी |
| 1️⃣4️⃣ | कोर्ट में क्रांति के विचारों को प्रचारित किया |
| 1️⃣5️⃣ | जेल में 116 दिन की भूख हड़ताल |
| 1️⃣6️⃣ | राजनीतिक कैदियों के अधिकारों की माँग |
| 1️⃣7️⃣ | “मैं नास्तिक क्यों हूँ” — प्रसिद्ध लेख |
| 1️⃣8️⃣ | मार्क्सवाद, समाजवाद और वर्गहीन समाज के पक्षधर |
| 1️⃣9️⃣ | अंग्रेजी, उर्दू, पंजाबी, हिंदी में दक्ष |
| 2️⃣0️⃣ | पुस्तक प्रेमी — जेल में भी पढ़ते रहे |
| 2️⃣1️⃣ | “इंकलाब ज़िंदाबाद” — उनका अमर नारा |
| 2️⃣2️⃣ | सुखदेव और राजगुरु के साथ फाँसी की सज़ा सुनाई गई |
| 2️⃣3️⃣ | फाँसी की तारीख: 23 मार्च 1931, लाहौर जेल |
| 2️⃣4️⃣ | फाँसी से पहले “वंदे मातरम्” और “इंकलाब ज़िंदाबाद” के नारे लगाए |
| 2️⃣5️⃣ | अंतिम इच्छा: देश के लिए मरना, किताबें पढ़ना |
| 2️⃣6️⃣ | मृत्यु को हँसते-हँसते गले लगाया |
| 2️⃣7️⃣ | उनकी मृत्यु को आज़ादी के आंदोलन में टर्निंग पॉइंट माना गया |
| 2️⃣8️⃣ | युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत — साहस, विचार और बलिदान का प्रतीक |
| 2️⃣9️⃣ | “क्रांति” को केवल हिंसा नहीं, विचारों का परिवर्तन माना |
| 3️⃣0️⃣ | “किरती” पत्रिका में लेख लिखे |
| 3️⃣1️⃣ | भगत सिंह ने कई छद्म नामों का प्रयोग किया — जैसे “बालमुकुंद” |
| 3️⃣2️⃣ | “शहीद-ए-आज़म” की उपाधि से सम्मानित |
| 3️⃣3️⃣ | उनकी फाँसी की तारीख को “शहीद दिवस” के रूप में मनाया जाता है |
| 3️⃣4️⃣ | आज भी छात्र आंदोलनों में उनका नाम गूंजता है |
| 3️⃣5️⃣ | उनका सपना: एक न्यायपूर्ण, वैज्ञानिक, समानता आधारित समाज |
| 3️⃣6️⃣ | 2025 में भी उनकी विरासत पर संगोष्ठियाँ, लेखन, नाटक जारी |
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