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#ѕad ѕнayrι...... #❤️Dil ka dard❤️
ѕad ѕнayrι...... - २०२५ में आकर एहसास हुआ कि उम्र बढ़ने के साथ लगाव होते जा रहे हैं, अब न किसी से उम्मीदें बची हैं, न कम झगड़कर अपने हिस्से की जगह लेने की ज़िद... दिल अब शोर से नहीं , बल्कि बंद कमरे और गहरी खामोशियों से सुकून ढूँढने लगा है, क्योंकि आखिर में यही समझ आया कि दुनिया से लड़ना आसान है, पर अपने अंदर की तन्हाई से समझौता ही असली जीत है।७७० २०२५ में आकर एहसास हुआ कि उम्र बढ़ने के साथ लगाव होते जा रहे हैं, अब न किसी से उम्मीदें बची हैं, न कम झगड़कर अपने हिस्से की जगह लेने की ज़िद... दिल अब शोर से नहीं , बल्कि बंद कमरे और गहरी खामोशियों से सुकून ढूँढने लगा है, क्योंकि आखिर में यही समझ आया कि दुनिया से लड़ना आसान है, पर अपने अंदर की तन्हाई से समझौता ही असली जीत है।७७० - ShareChat

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