गुणाधिकान्मुदं लिप्सेत् अनुक्रोशं गुणाधमात्।
मैत्रीं समानादन्विच्छेत् न तापैरभिभूयते।।
[ श्रीमद्भागवतपुराणम् - ४/८/३४ ]
अर्थात् 👉🏻 अपने से अधिक गुणवालों से आनन्द प्राप्त करें , कम गुणवालों के प्रति दयाभाव रखें तथा समान गुणवालों से मित्रता की इच्छा करे - ऐसा करनेवाले पुरुष संतापों से व्यथित नहीं होते ।
🌄🌄 प्रभात वंदन 🌄🌄
#❤️जीवन की सीख #शुभ रविवार

