🧿जापान देश में केवल पंद्रह वर्ष तक ही बच्चे माता- पिता के घर रहते हैं। उसके बाद वो उनपर निर्भर नहीं रहते। सभी कोई ना कई काम करके स्वयं अपना निर्वाह करते हैं। फिर बीच - बीच में अपने माता- पिता के पास मिलने आते रहते हैं।
उनका मानना है कि यदि पंद्रह साल के बाद भी यदि आप माता- पिता पर ही निर्भर हो तो आप निकम्मे हो, बेकार हो।
अब हम आते हैं अपने भारत में, जहाँ बच्चे क्या, हम माता- पिता भी कभी नहीं चाहते कि बच्चे हमसे अलग हों। अलग होने के नाम पर ही हम लोगों के दिल बैठ जाते हैं। क्योंकि हम विश्वास करते हैं कि बच्चे हमारे बुढ़ापे की लाठी होते हैं।
अगर हम भी उनकी तरह, अपने बच्चों को 15 ना सही 20 सही, स्वावलंबी बनने के लिए प्रेरित करें, बेशक वो हमारे संग ही रहें लेकिन बेकार ना बैठकर कोई ना कोई काम करें, तो वो एक ज़िम्मेवार इंसान बनेंगे। भारत में तो बच्चे घर का काम तक नहीं करना चाहते।
मैं यहाँ सभी की बात नहीं कर रही। लेकिन अधिकतर बच्चे हमारे देश में तो बस, केवल सोशल मीडिया चलाने को हो काम समझ रहे हैं।
😄बड़ा काम एकदम मिलता नहीं, छोटा हमारे बच्चे करना नहीं चाहते। लेकिन सच ये है कि इस नए AI के ज़माने में केवल वही कामयाब हो पाएगा, जिसने अपनी कला को विकसित किया होगा। सारे काम तो AI लेलेगा, ख़ुद का जुगाड़ करना होगा वरना भूखें मरने की नौबत आएगी
अपने देश में बेरोजगारी चरम सीमा पर हैं.
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