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#आज का मंत्र
आज का मंत्र - मंत्र " 37 কা विभूषयन्ति   पुरुषं हारा 7 चन्द्रोज्ज्वला न   विलेपनं न   स्नानं 7 శెకా नालङ्कृता   मूर्धजाः वाण्येका समलंकरोति पुरुषं  या संस्कृता धार्यते खलु   भूषणानि क्षीयते सततं वाग्भूषणं   भूषणम् I भावार्थः कंगन   मनुष्य की शोभा नहीं बढ़ाते, न ही चन्द्रमा की तरह gifea चमकते हार, न ही जल से स्नान ; देह पर सुगन्धित लगाने   से भी मनुष्य की उबटन शोभा नहीं बढ़ती और न ही যী মতী নাল ৪ী মনুষ্প ব্ী फूलों शोभा   बढ़ाते हैं। केवल   सुसंस्कृत सुसज्जित   वाणी ही 3k मनुष्य की शोभा बढाती है। भर्तृहरि ) Wante Motivational Videos App मंत्र " 37 কা विभूषयन्ति   पुरुषं हारा 7 चन्द्रोज्ज्वला न   विलेपनं न   स्नानं 7 శెకా नालङ्कृता   मूर्धजाः वाण्येका समलंकरोति पुरुषं  या संस्कृता धार्यते खलु   भूषणानि क्षीयते सततं वाग्भूषणं   भूषणम् I भावार्थः कंगन   मनुष्य की शोभा नहीं बढ़ाते, न ही चन्द्रमा की तरह gifea चमकते हार, न ही जल से स्नान ; देह पर सुगन्धित लगाने   से भी मनुष्य की उबटन शोभा नहीं बढ़ती और न ही যী মতী নাল ৪ী মনুষ্প ব্ী फूलों शोभा   बढ़ाते हैं। केवल   सुसंस्कृत सुसज्जित   वाणी ही 3k मनुष्य की शोभा बढाती है। भर्तृहरि ) Wante Motivational Videos App - ShareChat

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