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।। ॐ ।। विहाय कामान्यः सर्वान्पुमांश्चरति निःस्पृहः। निर्ममो निरहङ्कारः स शान्तिमधिगच्छति॥ जो पुरुष सम्पूर्ण कामनाओं को त्यागकर 'निर्ममः' - मैं और मेरे के भाव तथा अहंकार और स्पृहा से रहित हुआ बरतता है, वह उस परमशान्ति को प्राप्त होता है जिसके बाद कुछ भी पाना शेष नहीं रह जाता। #यथार्थ गीता #🧘सदगुरु जी🙏 #🙏गीता ज्ञान🛕 #❤️जीवन की सीख #🙏🏻आध्यात्मिकता😇
यथार्थ गीता - ।श्रीमद्मगवद्गीता।। ரிall Ilaeref ५२०० 8 3 | | 1 निःस्पृहः|  विहाय  सर्वान्पुमांश्चरति कामान्यः निर्ममो निरहङ्कारः स शान्तिमधिगच्छति।।  जो पुरुष सम्पूर्ण कामनाओं को त्यागकर  'নিমস:' मैं औरमेरे के भाव तथा अहंकार और स्पृहा से रहित हुआ बरतता है, वह उस परमशान्ति को प्राप्त होता है जिसके बाद कुछ y২০০ भी पाना शेष नहीं रह जाता। লণী নল সহল কনান श्रीमदमगवदगीता की शाश्वत व्याख्या ೧೬ಣ೮ ಮನಿನ ।श्रीमद्मगवद्गीता।। ரிall Ilaeref ५२०० 8 3 | | 1 निःस्पृहः|  विहाय  सर्वान्पुमांश्चरति कामान्यः निर्ममो निरहङ्कारः स शान्तिमधिगच्छति।।  जो पुरुष सम्पूर्ण कामनाओं को त्यागकर  'নিমস:' मैं औरमेरे के भाव तथा अहंकार और स्पृहा से रहित हुआ बरतता है, वह उस परमशान्ति को प्राप्त होता है जिसके बाद कुछ y২০০ भी पाना शेष नहीं रह जाता। লণী নল সহল কনান श्रीमदमगवदगीता की शाश्वत व्याख्या ೧೬ಣ೮ ಮನಿನ - ShareChat

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