संघ — एक सदी: सेवा, संगठन और सवाल 🇮🇳🕉️ — 1925 में नागपुर में डॉ. के.बी. हेडगेवार ने इसे शुरू किया था। आज यह सैकड़ों हज़ार शखाओं और करोड़ों स्वयंसेवकों तक पहुंचता बताया जाता है (सामग्री और आँकड़े हालिया रिपोर्टों में अलग-अलग दिखते हैं)। संघ का प्रभाव सीधे-सीधे “संघ परिवार” यानी अनेक संगठनों-विद्यालयों-किसान/मज़दूर/छात्र संगठनों के नेटवर्क से जुड़ा हुआ है, जो समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उसकी पहुँच बढ़ाता है। तर्क/साइंस के नजरिये से देखें तो रोज़ाना की शखाएँ और नियमित मिलन — एक तरह का सामाजिक-नेटवर्क और प्रतिबद्धता-बिल्डिंग मॉडल है: छोटे-छोटे नोड्स (शाखा) मिलकर बड़े नेटवर्क प्रभाव, भरोसा और त्वरित मोबाइलाइज़ेशन पैदा करते हैं — यही संरचनात्मक ताकत उसे न केवल सांस्कृतिक बल्कि कभी-कभी राजनीतिक प्रभाव भी देती है। ऐतिहासिक और व्यावहारिक दृष्टि से संघ ने आपदा राहत, शिक्षा और समाज सेवा में भी योगदान दिया है, पर एक ही समय में उस पर हिन्दुत्ववादी एजेंडा और अल्पसंख्यकों के प्रति असहिष्णुता के आरोप भी लगते रहे हैं — सच्चाई यह है कि संगठन के सकारात्मक कार्य और उसकी आलोचनाएँ दोनों मौजूद हैं; तर्क यही कहता है कि किसी भी संस्था का मूल्यांकन प्रमाण-आधारित होना चाहिए, न कि मात्र भावना-आधारित। “जब हम किसी विचारशील और कर्मठ व्यक्ति को देखते हैं, हम उसे दिव्य मान लेते हैं — और उसके गुणों की नकल कर खुद में वे गुण लाने की कोशिश करनी चाहिए।” — K. B. Hedgewar (अनुवाद रूप में उद्धरण)। #संघ #RSS #इतिहास #हिंदुत्व #विचार 📜🤝🔥 आप अगली post किस पर बनी देखना चाहते हैं comment करें
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