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गज़ल #✒ शायरी
✒ शायरी - अब्दुल्लतीफ़ शौक़  ক্ীৎ   নীয-বা-নংনয মী   ল   বলী 8 318T कुछ यादगार- ए-शहर-ए-सितमगर भी ले चलो रहे गुलाब   से   चेहरे   लिए हुए जा q शहर   में पत्थर भी॰ ले चलो आइनों   के নুস যুঁ   কম ٦٤ ٤ शीरीं - बयानी ही কী आप 77 भी   ले স चाहो आस्तीन ख़ंजर चलो की बैअत नहीं मुझको किसी   यज़ीद क़ुबूल 7 ये   रक्खो आओ मिरा सर भी॰ ले चलो सजाने   पड़ें ऐ  'शौक़' जाने   कैसे क्या qIq आँखो इक   हसीन মতয   মী   ল  বলী ম সা अब्दुल्लतीफ़ शौक़  ক্ীৎ   নীয-বা-নংনয মী   ল   বলী 8 318T कुछ यादगार- ए-शहर-ए-सितमगर भी ले चलो रहे गुलाब   से   चेहरे   लिए हुए जा q शहर   में पत्थर भी॰ ले चलो आइनों   के নুস যুঁ   কম ٦٤ ٤ शीरीं - बयानी ही কী आप 77 भी   ले স चाहो आस्तीन ख़ंजर चलो की बैअत नहीं मुझको किसी   यज़ीद क़ुबूल 7 ये   रक्खो आओ मिरा सर भी॰ ले चलो सजाने   पड़ें ऐ  'शौक़' जाने   कैसे क्या qIq आँखो इक   हसीन মতয   মী   ল  বলী ম সা - ShareChat

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