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#✍️ अनसुनी शायरी #✍️ साहित्य एवं शायरी #✒ गुलज़ार की शायरी 🖤 #❤️Love You Papa ❤️ #❤️पापा बेटी का प्यार
✍️ अनसुनी शायरी - वो दिन... वो तारीख, आज भी मुझे याद है। ना मैं भूल सकी, ना वक्त ने भुलाने दिया। हर साल इस दिन, दिल खामोशी से चीख उठता है जैसे कोई था, जिसका साया ही काफी था, पर अब वो सिर्फ तस्वीरों में नजर आते हैं। लोगों के लिए ये सिर्फ एक तारीख है कैलेंडर में , पर मेरे लिए... यह दर्द का निशान है, जहां से जिंदगी मुस्कुराना भूल गई थी। कुछ जुदाइयां होती है जो सिर्फ जुदाई नहीं होती.....वो पूरी जिंदगी की कहानी ही बदल देती है | Miss you papa ji जिनकी अनुपस्थिति के विचार मात्र से ह्रदय विचलित हो उठता था, उनकी अनुपस्थिति में ही जीवन बीत रहा है॰ वो दिन... वो तारीख, आज भी मुझे याद है। ना मैं भूल सकी, ना वक्त ने भुलाने दिया। हर साल इस दिन, दिल खामोशी से चीख उठता है जैसे कोई था, जिसका साया ही काफी था, पर अब वो सिर्फ तस्वीरों में नजर आते हैं। लोगों के लिए ये सिर्फ एक तारीख है कैलेंडर में , पर मेरे लिए... यह दर्द का निशान है, जहां से जिंदगी मुस्कुराना भूल गई थी। कुछ जुदाइयां होती है जो सिर्फ जुदाई नहीं होती.....वो पूरी जिंदगी की कहानी ही बदल देती है | Miss you papa ji जिनकी अनुपस्थिति के विचार मात्र से ह्रदय विचलित हो उठता था, उनकी अनुपस्थिति में ही जीवन बीत रहा है॰ - ShareChat

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