*🍽 खाना और मुसलमान 🍽*
आज़ादी के बाद हर क़ौम ने अपने मक़सद और मंज़िल बना ली,
लेकिन हम मुसलमानों ने
जैसे अपनी ज़िन्दगी का सिर्फ एक ही मक़सद तय कर लिया — खाना!
1. पैदाइश पर दावत
2. छठी पर दावत
3. बर्थडे पर दावत
4. शादी में दावत
5. मरने पर दावत
6. मरने के बाद भी दावत
7. खुशी में खाना
8. ग़म में भी खाना
9. मस्जिद में खाना
10. महफ़िल में खाना
11. और यूँ ही हर मौके पर खाना!
*अब तो ये हाल है कि —*
📌 अगर खाना न हो तो दीन सुनने नहीं आएंगे
📌 खाना न हो तो फातिहा में शरीक नहीं होंगे
📌 खाना न हो तो सालों मुलाक़ात भी नहीं करेंगे
*फिर खाने में भी मुक़ाबला:*
🍗 किसका खाना ज़्यादा
🥘 किसका खाना महंगा
🍽 किसका खाना अजीब और नया
⏰ दिन हो या रात — *बस खाना, खाना और खाना!*
*अब सोचो 🤔*
जब हर जगह सिर्फ खाना होगा तो पेट ही बढ़ेगा,
काश! हर जगह इल्म होता तो दिमाग़ बढ़ता।
*आज हाल ये है —*
📉 दिमाग़ सुकुड़ गया,
📈 और पेट बढ़ गया।
#❤️अस्सलामु अलैकुम #❤️Love You ज़िंदगी ❤️ #💓 मोहब्बत दिल से #💞दिल की धड़कन #❤️जीवन की सीख