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#विजय पाल #📓 हिंदी साहित्य #🥰Express Emotion #👫 हमारी ज़िन्दगी #😎मोटिवेशनल गुरु🤘
विजय पाल - मैथिलीशरण गुप्त की सुन्दर रचना तप्त हृदय को, सरस स्नेह से, जो सहला दे, *मित्र वही है।* रूखे मन को, सराबोर कर, जो नहला दे, *मित्र वही है।* प्रिय वियोग , संतप्त चित्त को, जो बहला दे, *मित्र वही है। * अश्रु बूँद की॰ एक झलक से, जो दहला दे, *मित्र वही है। * - मैं और मेरे एहसास मैथिलीशरण गुप्त की सुन्दर रचना तप्त हृदय को, सरस स्नेह से, जो सहला दे, *मित्र वही है।* रूखे मन को, सराबोर कर, जो नहला दे, *मित्र वही है।* प्रिय वियोग , संतप्त चित्त को, जो बहला दे, *मित्र वही है। * अश्रु बूँद की॰ एक झलक से, जो दहला दे, *मित्र वही है। * - मैं और मेरे एहसास - ShareChat

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