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#यथार्थ_गीता_ज्ञान 🎉 गीता अध्याय 18, श्लोक 66 गीता ज्ञान दाता काल कहता है, " मेरी सभी धार्मिक पूजाओं को मुझमें त्याग कर, तू केवल उस एक पूर्ण परमात्मा की शरण में जा। मैं तुझे सभी पापों से मुक्त कर दूंगा; तू शोक मत कर।
यथार्थ_गीता_ज्ञान - गीता के रहस्यो का महाखुलासा अन्थ गीता अनुवाद कर्ताओं ने शब्द का अर्थ आना किथा है 95' G है ' व्रज् ' शब्द का अर्थ जाना, जो अनुचित चला जाना आदि होता है। अध्याय १८ का श्लोक ६६ सर्वधर्मान् , परित्यज्य , माम् , एकम् , शरणम्, व्रज, अहमू , त्वा, सर्वपापेभ्यः, मोक्षयिष्यामि , मा , शुचः|l६६II मेरी ( सर्वधर्मान् ) सम्पूर्ण पूजाओंको ( माम् ) मुझ में (परित्यज्य ) त्यागकर तू केवल ( एकम् ) एक उस अद्वितीय अर्थात् पूर्ण परमात्मा की (शरणम् ) शरणमें (व्रज) जा। ( सर्वपापेभ्यः ) सम्पूर्ण पा्पोंसे (अहम् ) मैं (त्वा) तुझे (मोक्षयिष्यामि ) छुड़वा दूँगा तू (मा,शुचः ) शोक मत कर। # নিঃতুল্ পাঠ  पवित्र पुस्तक अपना नॉम , पूरा पता भेजें 51q 7177 +91 7496801823 1 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ गीता के रहस्यो का महाखुलासा अन्थ गीता अनुवाद कर्ताओं ने शब्द का अर्थ आना किथा है 95' G है ' व्रज् ' शब्द का अर्थ जाना, जो अनुचित चला जाना आदि होता है। अध्याय १८ का श्लोक ६६ सर्वधर्मान् , परित्यज्य , माम् , एकम् , शरणम्, व्रज, अहमू , त्वा, सर्वपापेभ्यः, मोक्षयिष्यामि , मा , शुचः|l६६II मेरी ( सर्वधर्मान् ) सम्पूर्ण पूजाओंको ( माम् ) मुझ में (परित्यज्य ) त्यागकर तू केवल ( एकम् ) एक उस अद्वितीय अर्थात् पूर्ण परमात्मा की (शरणम् ) शरणमें (व्रज) जा। ( सर्वपापेभ्यः ) सम्पूर्ण पा्पोंसे (अहम् ) मैं (त्वा) तुझे (मोक्षयिष्यामि ) छुड़वा दूँगा तू (मा,शुचः ) शोक मत कर। # নিঃতুল্ পাঠ  पवित्र पुस्तक अपना नॉम , पूरा पता भेजें 51q 7177 +91 7496801823 1 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ - ShareChat

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