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#सच्ची बात
सच्ची बात - सच्ची बात *जीवन में गिले-शिकवों का भी* *कोई अंत नही है साहब* *पत्थरों को शिकायत है कि* *पानी की मार से टूट रहे हैं हम..* *और पानी को गिला है कि* खुलकर बहने नहीं देते.. ! !*. 84 *पत्थर जय श्री श्याम सच्ची बात *जीवन में गिले-शिकवों का भी* *कोई अंत नही है साहब* *पत्थरों को शिकायत है कि* *पानी की मार से टूट रहे हैं हम..* *और पानी को गिला है कि* खुलकर बहने नहीं देते.. ! !*. 84 *पत्थर जय श्री श्याम - ShareChat

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