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#bharmakumaris om shanti ...*इस पुरानी पतित दुनिया से तुम्हारा बेहद का वैराग्य चाहिए क्योंकि तुम्हें पावन बनना है, तुम्हारी चढ़ती कला से सबका भला होता है। अब श्रीमत पर सद्गति को पाना है, इसमें अपनी मत चल न सके। दैवीगुण भी धारण करने हैं। किसको भी दुःख न दो। किसको उल्टा-सुल्टा रास्ता बताए सत्यानाश न करो। एक ही मुख्य बात समझाओ कि बाप और वर्से को याद करो*। 🔶🔶 ...*कहा जाता है, आत्मा अपना ही शत्रु, अपना ही मित्र है, एक बाप की श्रीमत पर सदा चलते रहना यही सच्ची मित्रता है। सच्ची मित्रता है एक बाप को याद कर पावन बनना और बाप से पूरा वर्सा लेना। यह मित्रता करने की युक्ति बाप ही बतलाते हैं। संगमयुग पर ही आत्मा अपना मित्र बनती है*। 🔶🔶...*गायन वा पूजन योग्य बनने के लिए पक्का वैष्णव बनना है। खान-पान की शुद्धि के साथ-साथ पवित्र रहना है। इस वैल्युबुल जीवन में सर्विस कर बहुतों का जीवन श्रेष्ठ बनाना है। बाप के साथ ऐसा योग रखना है जो आत्मा की लाइट बढ़ती जाए। कोई भी विकर्म कर लाइट कम नहीं करना है। अपने साथ मित्रता करनी है*।
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