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#दिल की बात ❤️
दिल की बात ❤️ - 31@ ,मुस्कुराती हैं पलकें खामोशी गिर कर जैसे ,फिर सम्हाल रही है हंसी में दबा देती ,आंसू की आवाज जिम्मेदारियों में गल,पिघल रही है वो जिसकी चमक से, खिंचता है मन आंसू समेट ,वो खुद में जल रही है अपना लिया है ,ज़िन्दगी को लेकिन ख्वाहिशें सारी ,खुद की छल रही है पूछता नहीं ,कोई खबर गम नहीं उसे ज़िन्दगी है, यूँ भी तो चल रही है | 31@ ,मुस्कुराती हैं पलकें खामोशी गिर कर जैसे ,फिर सम्हाल रही है हंसी में दबा देती ,आंसू की आवाज जिम्मेदारियों में गल,पिघल रही है वो जिसकी चमक से, खिंचता है मन आंसू समेट ,वो खुद में जल रही है अपना लिया है ,ज़िन्दगी को लेकिन ख्वाहिशें सारी ,खुद की छल रही है पूछता नहीं ,कोई खबर गम नहीं उसे ज़िन्दगी है, यूँ भी तो चल रही है | - ShareChat

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