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#इस्लाम
इस्लाम - मिर्ज़ा ग़ालिब हमें भी बहुत शौक था दरिया ए इश्क में तैरने का एक लहर ने ऐसा डुबोया कि अभी तक किनारा न मिला।  मतलय ग़ालिब कहते है हमें भी मोहब्बत के समुंदर में उतरने का बहुत शौक था॰ लेकिन जब हम इश्क ए॰ रसूल #र्थो की लहर में डूबे  तो ऐसा डूबे कि अब तक उस इश्क़ का किनारा नहीं  সিলা | যানি ক্ি ~ रसूल ए॰अकरम /र् की मोहब्बत ऐसा बे॰किनारा दरिया " है किजो इसमें उतर जाएवो अपनी हस्ती, अपनी  ख्व़ाहिशें, अपना वजूद - सब कुछ भुला देता है। उसके लिए अब दुनिया की हर चीज़ फीकी है, सिर्फ़ उस  इश्क़ की लहर ही उसका सुकून और मक़सद बन जाती है मिर्ज़ा ग़ालिब हमें भी बहुत शौक था दरिया ए इश्क में तैरने का एक लहर ने ऐसा डुबोया कि अभी तक किनारा न मिला।  मतलय ग़ालिब कहते है हमें भी मोहब्बत के समुंदर में उतरने का बहुत शौक था॰ लेकिन जब हम इश्क ए॰ रसूल #र्थो की लहर में डूबे  तो ऐसा डूबे कि अब तक उस इश्क़ का किनारा नहीं  সিলা | যানি ক্ি ~ रसूल ए॰अकरम /र् की मोहब्बत ऐसा बे॰किनारा दरिया " है किजो इसमें उतर जाएवो अपनी हस्ती, अपनी  ख्व़ाहिशें, अपना वजूद - सब कुछ भुला देता है। उसके लिए अब दुनिया की हर चीज़ फीकी है, सिर्फ़ उस  इश्क़ की लहर ही उसका सुकून और मक़सद बन जाती है - ShareChat

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