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#Ut kendrit
Ut kendrit - मैं ज़िंदगीसे भागना नहीं उससे जुड़ना चाहता हूँ। उसे झकझोरना चाहता हूँ उसके काल्पनिक अक्ष पर சசசசச் बह सबसे अधिक बेध्यं हो कविता द्वारा। उस आच्छादित शक्तिस्त्रोत को सधे हुए प्रहारों द्वार पहले तो विचलित कर फिर उसे कीलित कर जाना चहता हूँ नियतिबद्ध परिक्रमा से मोड़ कर पराक्रम की धुरी पर प्रगति बिन्दु एक यांत्रिकता की अपेक्षा मनृष्यता की ओर ज़्यादा सरका हुआ! | 2 21  मैं ज़िंदगीसे भागना नहीं उससे जुड़ना चाहता हूँ। उसे झकझोरना चाहता हूँ उसके काल्पनिक अक्ष पर சசசசச் बह सबसे अधिक बेध्यं हो कविता द्वारा। उस आच्छादित शक्तिस्त्रोत को सधे हुए प्रहारों द्वार पहले तो विचलित कर फिर उसे कीलित कर जाना चहता हूँ नियतिबद्ध परिक्रमा से मोड़ कर पराक्रम की धुरी पर प्रगति बिन्दु एक यांत्रिकता की अपेक्षा मनृष्यता की ओर ज़्यादा सरका हुआ! | 2 21 - ShareChat

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