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#✍गुलजारांचे साहित्य
✍गुलजारांचे साहित्य - बेवजह नहीं पडती है रिश्तों में दरार कोई अपना ही ज़हर घोलता है ... 347 @sharyOfgulzar बेवजह नहीं पडती है रिश्तों में दरार कोई अपना ही ज़हर घोलता है ... 347 @sharyOfgulzar - ShareChat

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