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#🖋ग़ालिब की शायरी
🖋ग़ालिब की शायरी - एक ही काफ़ी था बंया तजुर्बा ` लिए। करने के 2 मेंने देखा ही नहीं इश्क दुबारा करके, I!| एक ही काफ़ी था बंया तजुर्बा ` लिए। करने के 2 मेंने देखा ही नहीं इश्क दुबारा करके, I!| - ShareChat

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