ShareChat
click to see wallet page
#सूरज जब
सूरज जब - सूस्ज जब किरणों के बीज धरती के प्रांगण में बोकर हारान्थका स्वेद युक्त रक्त बदन सिन्धु के किनारे निज थकन मिटाने को नए गीत पाने को आया निर्मम उस सिन्धु व डुबो दिया, फपर लहरों की अँधियाली चादर लाढाप और शान्तहो रहा। लज्जा से अरुण तरुण दिशाओं आवरण हदाकर निहारा दश्य At4 46 कोध से हिमालय के वश वर्त्तियों ने मुख ्लाल कुछ उठाया फिर मौन सिरझुकाया ज्योंः व्याः तलब? एक बार सहमी aச रोमाच ' a फिर गति से बही सूस्ज जब किरणों के बीज धरती के प्रांगण में बोकर हारान्थका स्वेद युक्त रक्त बदन सिन्धु के किनारे निज थकन मिटाने को नए गीत पाने को आया निर्मम उस सिन्धु व डुबो दिया, फपर लहरों की अँधियाली चादर लाढाप और शान्तहो रहा। लज्जा से अरुण तरुण दिशाओं आवरण हदाकर निहारा दश्य At4 46 कोध से हिमालय के वश वर्त्तियों ने मुख ्लाल कुछ उठाया फिर मौन सिरझुकाया ज्योंः व्याः तलब? एक बार सहमी aச रोमाच ' a फिर गति से बही - ShareChat

More like this