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#शहीद दिवस #बलिदान दिवस #🇮🇳 देशभक्ति #🙏🏻माँ तुझे सलाम #आज जिनकी पुण्यतिथि है
शहीद दिवस - शत शत नमन है जिन्होंने मां भारती की बेड़ियां काटने फांसी का फंदा चूमा ! इन्होंने दक्षिणेश्वर में रहते हुए बमों का  निर्माण किया।  १० नवम्बर, १९२५ ई. को उन्हें दक्षिणेश्वर बम काण्ड के प्रमुख अभियुक्त के रूप में गिरफ्तार किया गया।  जेल में उन्होंने पुलिस उपन्अधीक्षक की हत्या कर दी तथा उन पर मुक़दमा चलाया गया। उन्हें फाँसी की सज़ा सुनाई गई तथा २८  अनंत हरि मित्र अलीपुर जेल में क्रांतिकारी सितम्बर, १९२६ को দামী 28 মিনন্য 1926  लिए ' अनन्त हरि मित्र देश के शहीद हो गए। प्रमोद रंजन चौधरी (१९०४  মিনদয 28, 1927) एक बंगाली क्रांतिकारी थे। उन्होंने अंग्रेज़ शासन के विरुद्ध आवाज़ उठाई थी। प्रमोद का जन्म चिट्टागॉन्ग  के केलिशहर में हुआ जो अब बंग्लादेश में है। उनके " पिता का नाम श्री ईशान चन्द्र चोधरी था। १९२० में अनुशीलन समिति से जुड़ गए शिक्षा के दौरान वह जो कि एक क्रांतिकारी संगठन के रूप में प्रसिद्ध हे।  असहयोग आन्दोलन से भी जुड़ गए।  मे वह 1921 १९२५ में चोधरी को दक्षिणेश्वर बम कांड में संदिग्ध  के रूप में पकड़ा गया था और कड़ी सज़ा  सुनाई  प्रमोद रजन पोचरी अलीपुर  फासी २८ सितवर १९२७ जेल में जहाँ वह बन्द थे, चोधरी ने मई गई। २८, १९२७ को भूपेन्द्र नाथ चटर्जी को मार डाला जो  के डिप्टी कमिशनर थे। के कारण उसे पुलिस  इसी सितम्बर २८, १९२७ को फाँसी दे दी गई। पर आजादी तो केवल चरखे ने दिलाई? शत शत नमन है जिन्होंने मां भारती की बेड़ियां काटने फांसी का फंदा चूमा ! इन्होंने दक्षिणेश्वर में रहते हुए बमों का  निर्माण किया।  १० नवम्बर, १९२५ ई. को उन्हें दक्षिणेश्वर बम काण्ड के प्रमुख अभियुक्त के रूप में गिरफ्तार किया गया।  जेल में उन्होंने पुलिस उपन्अधीक्षक की हत्या कर दी तथा उन पर मुक़दमा चलाया गया। उन्हें फाँसी की सज़ा सुनाई गई तथा २८  अनंत हरि मित्र अलीपुर जेल में क्रांतिकारी सितम्बर, १९२६ को দামী 28 মিনন্য 1926  लिए ' अनन्त हरि मित्र देश के शहीद हो गए। प्रमोद रंजन चौधरी (१९०४  মিনদয 28, 1927) एक बंगाली क्रांतिकारी थे। उन्होंने अंग्रेज़ शासन के विरुद्ध आवाज़ उठाई थी। प्रमोद का जन्म चिट्टागॉन्ग  के केलिशहर में हुआ जो अब बंग्लादेश में है। उनके " पिता का नाम श्री ईशान चन्द्र चोधरी था। १९२० में अनुशीलन समिति से जुड़ गए शिक्षा के दौरान वह जो कि एक क्रांतिकारी संगठन के रूप में प्रसिद्ध हे।  असहयोग आन्दोलन से भी जुड़ गए।  मे वह 1921 १९२५ में चोधरी को दक्षिणेश्वर बम कांड में संदिग्ध  के रूप में पकड़ा गया था और कड़ी सज़ा  सुनाई  प्रमोद रजन पोचरी अलीपुर  फासी २८ सितवर १९२७ जेल में जहाँ वह बन्द थे, चोधरी ने मई गई। २८, १९२७ को भूपेन्द्र नाथ चटर्जी को मार डाला जो  के डिप्टी कमिशनर थे। के कारण उसे पुलिस  इसी सितम्बर २८, १९२७ को फाँसी दे दी गई। पर आजादी तो केवल चरखे ने दिलाई? - ShareChat

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