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#🗣कबीर अमृतवाणी📢
🗣कबीर अमृतवाणी📢 - ஜ गुरु कुम्हार शिष कुंभ है, गढ़ि गढ़ि काढ़ै खोट। अंतर हाथ सहार दै, बाहर बाहै चोट।| ஜ गुरु कुम्हार शिष कुंभ है, गढ़ि गढ़ि काढ़ै खोट। अंतर हाथ सहार दै, बाहर बाहै चोट।| - ShareChat

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