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#Deh ke mastul
Deh ke mastul - अंजुरी जल में प्रणय की अर्चना के फूल डूबे | ये अमलतासी अँधेरे, और कचनारी उजेरे , आयु के ऋतुरंग में सब चाह के अनुकूल डूबे  स्पर्श ने संवाद बोले, रक्त में तूफ़ान घोले, कामना के ज्वार-्जल में देह के मस्तूल डूबे _ا भावना से बुद्धि मोहित- हो गई प्रज्ञा तिरोहित, चेतना के तरु शिखर डूबे, सुसंयमनमूल डूबे | अंजुरी जल में प्रणय की अर्चना के फूल डूबे | ये अमलतासी अँधेरे, और कचनारी उजेरे , आयु के ऋतुरंग में सब चाह के अनुकूल डूबे  स्पर्श ने संवाद बोले, रक्त में तूफ़ान घोले, कामना के ज्वार-्जल में देह के मस्तूल डूबे _ا भावना से बुद्धि मोहित- हो गई प्रज्ञा तिरोहित, चेतना के तरु शिखर डूबे, सुसंयमनमूल डूबे | - ShareChat

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