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#✒ गुलज़ार की शायरी 🖤 #✍️ साहित्य एवं शायरी #💓 दिल के अल्फ़ाज़ #📚कविता-कहानी संग्रह #📖 कविता और कोट्स✒️
✒ गुलज़ार की शायरी 🖤 - पहले दिन गुज़र जाते थे, बात ख़त्म नहीं होती थी, अब दिन खत्म हो जाते हैं॰ पर बात शुरू भी नहीं होती। 700 पहले दिन गुज़र जाते थे, बात ख़त्म नहीं होती थी, अब दिन खत्म हो जाते हैं॰ पर बात शुरू भी नहीं होती। 700 - ShareChat

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