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*कार्तिक की कहानीयां* *पोस्ट-2* *विनायक जी की कथा* 🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀 एक विनायक महाराज थे चुटकी में कुलिया में दुध लिए फिर रहे थे कोई मेरी खीर बना दे। कोई न बनावे। जरा से दुध चावल की खीर कैसे बने। एक बुढीया थी। बोली-बेटा ला मैं बना दूं। बुढीया बाहर जाने लगी तो विनायक जी बोले-कहां जा रही हो'बेटा! बर्तन मांग कर ला रही हुं। बोली! देख तेरे आंगन में। अन्दर देखा दुध का टोकना भरा पड़ा है चावल की परात भरी पड़ी है चुल्हा जला कर खीर बनाई, खीर निकलने लगी, बहु ने कटोरा भर के किवाड़ के पिछे विनायक बाबा का छींटा लगाकर खा ली। जब सारी खीर बन गई तो बुढीया बोली- आ बेटा जीम ले। विनायक जी बोले मैने तो खा ली, बुढीया ने पूछा _ कब खाई? विनायक जी बोले , _ जब तेरी बहु ने खाई बुढीया बोली- बहु। तैने खीर जुठी कर ली। बहु बोली- मां जी खीर निकल रही थी मैने कटोरा भर के विनायक का छींटा लगाकर, खा ली। विनायक से बुढीया बोली, - अब क्या करूँ? विनायक जी बोले, खा, और बांट दो। बुढीया खीर बांटने लगी तो दुनिया निरचा-चरचा करने लगी कि, कल तो बुढीया भुखी मरती थी और आज खीर बांट रही है। झोंपड़ी को लात मारी महल बन गया। खुब धन हो गया। हे विनायक जी महाराज! जैसे आपने बुढीया का घर भरा वैसे ही आप कहानी कहने और सुनने वाले का भी घर भरना। जय विनायक जी महाराज राणा जी खेड़ांवाली🚩 #🕉️सनातन धर्म🚩 #श्री हरि

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