ShareChat
click to see wallet page
#om shanti brahmakumari
om shanti   brahmakumari - अनुभवों के गुह्यता की प्रयोगशाला में रह नई रिसर्च वरदानः करने वाले अन्तर्मुखी भव जब स्वयं में पहले सर्व अनुभव प्रत्यक्ष होंगे तब प्रत्यक्षता होगी इसके लिए अन्तर्मुखी बन याद की यात्रा व हर प्राप्ति की गुह्यता में जाकर रिसर्च करो, संकल्प धारण करो और फिर उसका परिणाम वा सिद्धि देखो कि जो संकल्प किया वह सिद्ध हुआ या नहीं ? ऐसे अनुभवों के गुह्यता की प्रयोगशाला में रहो जो महसूस हो कि यह सब कोई विशेष लगन में मगन इस संसार से उपराम हैं। कर्म करते योग की पावरफुल स्टेज में रहने का अभ्यास बढ़ाओ। जैसे वाणी में आने का अभ्यास है ऐसे रूहानियत में रहने का अभ्यास डालो। स्लोगनः- सन्तुष्टता की सीट पर बैठकर परिस्थितियों का खेल देखने वाले ही सन्तुष्टमणि हैं। शुभ विचारः जब बोल में स्नेह और संयम हो तब वाणी की जमा होगी | एनर्जी  अशरीरी व विदेही स्थिति का अभ्यास बढ़ाओ अव्यक्त इशारे जैसे हठयोगी अपने श्वांस को जितना समय चाहें उतना समय रोक सकते हैं। आप सहजयोगी , स्वतः योगी , सदा-योगी , कर्म-योगी , श्रेष्ठ-्योगी अपने संकल्प को , श्वांस को प्राणेश्वर बाप के ज्ञान के आधार पर जो संकल्प , जैसा संकल्प जितना समय करना चाहो उतना समय उसी संकल्प में स्थित हो जाओ अभी-अभी शुद्ध संकल्प में रमण करो, अभी अभी एक ही लगन अर्थात् एक ही बाप से मिलन की , एक ही अशरीरी बनने संकल्प में स्थित हो जाओ 39- अनुभवों के गुह्यता की प्रयोगशाला में रह नई रिसर्च वरदानः करने वाले अन्तर्मुखी भव जब स्वयं में पहले सर्व अनुभव प्रत्यक्ष होंगे तब प्रत्यक्षता होगी इसके लिए अन्तर्मुखी बन याद की यात्रा व हर प्राप्ति की गुह्यता में जाकर रिसर्च करो, संकल्प धारण करो और फिर उसका परिणाम वा सिद्धि देखो कि जो संकल्प किया वह सिद्ध हुआ या नहीं ? ऐसे अनुभवों के गुह्यता की प्रयोगशाला में रहो जो महसूस हो कि यह सब कोई विशेष लगन में मगन इस संसार से उपराम हैं। कर्म करते योग की पावरफुल स्टेज में रहने का अभ्यास बढ़ाओ। जैसे वाणी में आने का अभ्यास है ऐसे रूहानियत में रहने का अभ्यास डालो। स्लोगनः- सन्तुष्टता की सीट पर बैठकर परिस्थितियों का खेल देखने वाले ही सन्तुष्टमणि हैं। शुभ विचारः जब बोल में स्नेह और संयम हो तब वाणी की जमा होगी | एनर्जी  अशरीरी व विदेही स्थिति का अभ्यास बढ़ाओ अव्यक्त इशारे जैसे हठयोगी अपने श्वांस को जितना समय चाहें उतना समय रोक सकते हैं। आप सहजयोगी , स्वतः योगी , सदा-योगी , कर्म-योगी , श्रेष्ठ-्योगी अपने संकल्प को , श्वांस को प्राणेश्वर बाप के ज्ञान के आधार पर जो संकल्प , जैसा संकल्प जितना समय करना चाहो उतना समय उसी संकल्प में स्थित हो जाओ अभी-अभी शुद्ध संकल्प में रमण करो, अभी अभी एक ही लगन अर्थात् एक ही बाप से मिलन की , एक ही अशरीरी बनने संकल्प में स्थित हो जाओ 39- - ShareChat

More like this