राधा — प्रेम की वह शक्ति जो आत्मा को जगाती है ❤️🎶🌸; राधा (Radhika) को हिन्दू परंपरा में कृष्ण की प्रमुख संगिनी और भक्ति-प्रतीक के रूप में माना जाता है, और उनकी पूजा, साहित्यिक चित्रण और त्योहारों में स्थिति मुख्यतः मध्यकालीन भक्ति-परंपरा के दौरान स्पष्ट हुई। गीत-गोविंद (12वीं शताब्दी) और बाद के पुराणों जैसे ब्रह्म वैवर्त पुराण में राधा का उल्लेख मिलता है, इसलिए कई विद्वान मानते हैं कि उनका देवत्व कवि-परंपरा और लोक-श्रुति के संगम से निखरा। “The divine couple, Radha and Krishna, comprise the essence of godhead.” — इस विचार ने राधा-कृष्ण के रूप को न केवल प्रेम-कथा बल्कि दैवीय-थिएट्रिकल सिद्धांत बना दिया। तर्क/साइंस की नज़र से देखें तो यह एक सांस्कृतिक-मेमेटिक प्रक्रिया है: मौखिक परंपरा, काव्यिक कैननाइज़ेशन और मंदिर-अनुष्ठान ने किसी लोक-चरित्र को देवीय आर्केटाइप में बदल दिया — यानी राधा एक ऐतिहासिक व्यक्ति से अधिक एक प्रतीक-देवी और आत्मिक-आकांक्षा का प्रतिनिधित्व करती हैं; इस गणितीय/मनोवैज्ञानिक विश्लेषण में साहित्य और सामाजिक मनोविज्ञान का योगदान दिखता है। एक रोचक तथ्य — ब्रज क्षेत्र में आज भी लोग एक दूसरे का अभिवादन “Radhe Radhe” करte हैं, जो राधा की जीवित लोक-संस्कृति उपस्थिति को दर्शाता है। #राधा #Radha #भक्ति #Vrindavan #Radhashtami 🪷🎵🌿 आप अगली post किस पर बनी देखना चाहते हैं comment करें
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