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#विजय पाल #📓 हिंदी साहित्य #🥰Express Emotion ##️⃣DilShayarana💘 #💞Heart touching शायरी✍️
विजय पाल - 0 589 ப& *46/ 21:54 63% कुछ भी अतिरिक्त नहीं होता प्रेम में और ना कुछ कम ही होता है प्रेम संतुलित होता है वह पूर्ण या अपूर्ण भी नहीं होता क्योंकि प्रेम अपने आप में संपूर्ण होता है शोर है प्रेम और शांति भी प्रेम नियमित है और क्रांति भी प्रेम का विस्तार अति है प्रेम से कुछ भी रिक्त नहीं | हेमन्त 0 589 ப& *46/ 21:54 63% कुछ भी अतिरिक्त नहीं होता प्रेम में और ना कुछ कम ही होता है प्रेम संतुलित होता है वह पूर्ण या अपूर्ण भी नहीं होता क्योंकि प्रेम अपने आप में संपूर्ण होता है शोर है प्रेम और शांति भी प्रेम नियमित है और क्रांति भी प्रेम का विस्तार अति है प्रेम से कुछ भी रिक्त नहीं | हेमन्त - ShareChat

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