✨ Dhruv Tara ka Divya Rahasya ✨
ध्रुव, मात्र पाँच वर्ष के बालक…
पर भक्ति इतनी दृढ़ कि जंगल की एकांत तपस्या भी उन्हें डिगा न सकी।
अपमान मिला था, पर उन्होंने दुख को शक्ति में बदल दिया —
और भगवान विष्णु को पाने की अटूट लगन में themselves समर्पित कर दिया।
वर्षों की तपस्या के बाद जब विष्णु प्रकट हुए,
उन्होंने कहा —
“ध्रुव, तुम्हारी अटल भक्ति ने मुझे बाँध लिया है।”
विष्णु ने ध्रुव को वरदान दिया —
“तुम सदैव आकाश में एक स्थिर तारे के रूप में रहोगे।”
आज उत्तर दिशा में चमकता ध्रुव तारा,
एक बालक की निस्वार्थ श्रद्धा और दृढ़ संकल्प का जीवित प्रतीक है।
🙏 जय श्री विष्णु। जय भक्ति।
अगर यह कथा आपको प्रेरणा दे,
तो इसे अपने प्रियजनों तक ज़रूर पहुँचाएँ।
हर दिन भक्ति — हर दिन आंतरिक प्रकाश।
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