#गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला
गीता का ज्ञान किसने बोला ?
काल भगवान जो इक्कीस ब्रह्मण्ड का प्रभु है, उसने प्रतिज्ञा की है कि मैं स्थूल शरीर में व्यक्त (मानव सदृश अपने वास्तविक) रूप में सबके सामने नहीं आऊँगा।
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![आध्यात्मिक आस्था - शीता @( S কিহ্নী बोला ? काल भगवान जो इक्कीस ब्रह्मण्ड का प्रभु अध्याय ११ का श्वोक ३२ उसने प्रतिज्ञा की है कि मैं स्थूल शरीर ٤ में व्यक्त(मानव सदृश अपने वास्तविक) रूप में सबके सामने नहीं आऊँगा| उसी ने कालः अस्मि, लोकक्षयकृत प्रवृद , लोकान, समाहर्तुम इह, प्रवृत्तः, सूक्ष्म शरीर बना कर प्रेत की तरह श्री ऋते, अपि त्वाम न भविष्यत्ति, सर्वे ये अवस्थिताः , प्रत्यनीकेपु योधाः। १३२१ ] कृष्ण जी के शरीर में प्रवेश करके पवित्र गीता जी का ज्ञान तो सहीषवेदों का सार) (भगवान उताच ) कहा, परन्तु युद्घ करवाने के लिए भी अटकल बाजी में कसर नहीं छोड़़ी | अनुवादः (लोकक्षयकृत ) लोकों का नाश करने वाला (प्रवृद्धः ) बढा हुआ ( कालः ) काल (अस्मि ) हूॅ। तत्वदर्शी जगतगु२ (इह ) इस समय ( लोकान ) इन लोकों को शंत शमपाल जी महाशज (समाहर्तुम ) नष्ट करने के लिये (प्रवृत्तः ) प्रकट हुआ हूँ इसलिये (ये) जो (प्रत्यनीकेषु) प्रतिपक्षियों की सेना में ( अवस्थिताः ) स्थित ( योधाः ) योद्धा लोग हैं॰ (ते) वे (सवे ) सव (त्वाम् ) संत रामपाल जी महाराज जी से तेरे ( ऋते ) बिना ( अपि) भी (न ) नही ব নিঃথুল্ক निःशुल्क नामदीक्षा ` (भविष्यन्ति ) रहेंगे अर्थात तेरे युद्ध +917496801823 पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्र न करने से भी इन सबका नाश हो जायेगा। ( ३२ ) SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Ji @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ शीता @( S কিহ্নী बोला ? काल भगवान जो इक्कीस ब्रह्मण्ड का प्रभु अध्याय ११ का श्वोक ३२ उसने प्रतिज्ञा की है कि मैं स्थूल शरीर ٤ में व्यक्त(मानव सदृश अपने वास्तविक) रूप में सबके सामने नहीं आऊँगा| उसी ने कालः अस्मि, लोकक्षयकृत प्रवृद , लोकान, समाहर्तुम इह, प्रवृत्तः, सूक्ष्म शरीर बना कर प्रेत की तरह श्री ऋते, अपि त्वाम न भविष्यत्ति, सर्वे ये अवस्थिताः , प्रत्यनीकेपु योधाः। १३२१ ] कृष्ण जी के शरीर में प्रवेश करके पवित्र गीता जी का ज्ञान तो सहीषवेदों का सार) (भगवान उताच ) कहा, परन्तु युद्घ करवाने के लिए भी अटकल बाजी में कसर नहीं छोड़़ी | अनुवादः (लोकक्षयकृत ) लोकों का नाश करने वाला (प्रवृद्धः ) बढा हुआ ( कालः ) काल (अस्मि ) हूॅ। तत्वदर्शी जगतगु२ (इह ) इस समय ( लोकान ) इन लोकों को शंत शमपाल जी महाशज (समाहर्तुम ) नष्ट करने के लिये (प्रवृत्तः ) प्रकट हुआ हूँ इसलिये (ये) जो (प्रत्यनीकेषु) प्रतिपक्षियों की सेना में ( अवस्थिताः ) स्थित ( योधाः ) योद्धा लोग हैं॰ (ते) वे (सवे ) सव (त्वाम् ) संत रामपाल जी महाराज जी से तेरे ( ऋते ) बिना ( अपि) भी (न ) नही ব নিঃথুল্ক निःशुल्क नामदीक्षा ` (भविष्यन्ति ) रहेंगे अर्थात तेरे युद्ध +917496801823 पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्र न करने से भी इन सबका नाश हो जायेगा। ( ३२ ) SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Ji @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ - ShareChat आध्यात्मिक आस्था - शीता @( S কিহ্নী बोला ? काल भगवान जो इक्कीस ब्रह्मण्ड का प्रभु अध्याय ११ का श्वोक ३२ उसने प्रतिज्ञा की है कि मैं स्थूल शरीर ٤ में व्यक्त(मानव सदृश अपने वास्तविक) रूप में सबके सामने नहीं आऊँगा| उसी ने कालः अस्मि, लोकक्षयकृत प्रवृद , लोकान, समाहर्तुम इह, प्रवृत्तः, सूक्ष्म शरीर बना कर प्रेत की तरह श्री ऋते, अपि त्वाम न भविष्यत्ति, सर्वे ये अवस्थिताः , प्रत्यनीकेपु योधाः। १३२१ ] कृष्ण जी के शरीर में प्रवेश करके पवित्र गीता जी का ज्ञान तो सहीषवेदों का सार) (भगवान उताच ) कहा, परन्तु युद्घ करवाने के लिए भी अटकल बाजी में कसर नहीं छोड़़ी | अनुवादः (लोकक्षयकृत ) लोकों का नाश करने वाला (प्रवृद्धः ) बढा हुआ ( कालः ) काल (अस्मि ) हूॅ। तत्वदर्शी जगतगु२ (इह ) इस समय ( लोकान ) इन लोकों को शंत शमपाल जी महाशज (समाहर्तुम ) नष्ट करने के लिये (प्रवृत्तः ) प्रकट हुआ हूँ इसलिये (ये) जो (प्रत्यनीकेषु) प्रतिपक्षियों की सेना में ( अवस्थिताः ) स्थित ( योधाः ) योद्धा लोग हैं॰ (ते) वे (सवे ) सव (त्वाम् ) संत रामपाल जी महाराज जी से तेरे ( ऋते ) बिना ( अपि) भी (न ) नही ব নিঃথুল্ক निःशुल्क नामदीक्षा ` (भविष्यन्ति ) रहेंगे अर्थात तेरे युद्ध +917496801823 पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्र न करने से भी इन सबका नाश हो जायेगा। ( ३२ ) SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Ji @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ शीता @( S কিহ্নী बोला ? काल भगवान जो इक्कीस ब्रह्मण्ड का प्रभु अध्याय ११ का श्वोक ३२ उसने प्रतिज्ञा की है कि मैं स्थूल शरीर ٤ में व्यक्त(मानव सदृश अपने वास्तविक) रूप में सबके सामने नहीं आऊँगा| उसी ने कालः अस्मि, लोकक्षयकृत प्रवृद , लोकान, समाहर्तुम इह, प्रवृत्तः, सूक्ष्म शरीर बना कर प्रेत की तरह श्री ऋते, अपि त्वाम न भविष्यत्ति, सर्वे ये अवस्थिताः , प्रत्यनीकेपु योधाः। १३२१ ] कृष्ण जी के शरीर में प्रवेश करके पवित्र गीता जी का ज्ञान तो सहीषवेदों का सार) (भगवान उताच ) कहा, परन्तु युद्घ करवाने के लिए भी अटकल बाजी में कसर नहीं छोड़़ी | अनुवादः (लोकक्षयकृत ) लोकों का नाश करने वाला (प्रवृद्धः ) बढा हुआ ( कालः ) काल (अस्मि ) हूॅ। तत्वदर्शी जगतगु२ (इह ) इस समय ( लोकान ) इन लोकों को शंत शमपाल जी महाशज (समाहर्तुम ) नष्ट करने के लिये (प्रवृत्तः ) प्रकट हुआ हूँ इसलिये (ये) जो (प्रत्यनीकेषु) प्रतिपक्षियों की सेना में ( अवस्थिताः ) स्थित ( योधाः ) योद्धा लोग हैं॰ (ते) वे (सवे ) सव (त्वाम् ) संत रामपाल जी महाराज जी से तेरे ( ऋते ) बिना ( अपि) भी (न ) नही ব নিঃথুল্ক निःशुल्क नामदीक्षा ` (भविष्यन्ति ) रहेंगे अर्थात तेरे युद्ध +917496801823 पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्र न करने से भी इन सबका नाश हो जायेगा। ( ३२ ) SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Ji @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ - ShareChat](https://cdn4.sharechat.com/bd5223f_s1w/compressed_gm_40_img_262531_15c41788_1760592260814_sc.jpg?tenant=sc&referrer=pwa-sharechat-service&f=814_sc.jpg)