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#sachia gallan
sachia gallan - Rgg 5:16  8  l 93 बिखर रहे हैं रिश्तों के धागे... समझने का किसी को समय नहीं| हर कोई खुद में उलझा हुआ... सुनने का किसी को मन नहीं| रूठे दिल अब जुड़ते नहीं... मुलाकातों में वो स्नेह नहीं| कैसे मिटें ये दूरियां दिलों की... जब निभाने की चाह नहीं | Sangitam motivational Rgg 5:16  8  l 93 बिखर रहे हैं रिश्तों के धागे... समझने का किसी को समय नहीं| हर कोई खुद में उलझा हुआ... सुनने का किसी को मन नहीं| रूठे दिल अब जुड़ते नहीं... मुलाकातों में वो स्नेह नहीं| कैसे मिटें ये दूरियां दिलों की... जब निभाने की चाह नहीं | Sangitam motivational - ShareChat

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