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#📖 Book ki bate #ऐसा लगता जैसे एक साथ नहीं #जैसे #दिल के अल्फ़ाज़
📖 Book ki bate - एक किताब की तरह हूँ मैं, ক্িননী ৪ী ಖ ತIIಳ पुरानी उसके अल्फाज नहीं बदलेंगे पर कभी याद आये तो पन्ने पलट कर देखना , हम आज जैसे भी हैं कल भी वैसे ही मिलेंगे एक किताब की तरह हूँ मैं, ক্িননী ৪ী ಖ ತIIಳ पुरानी उसके अल्फाज नहीं बदलेंगे पर कभी याद आये तो पन्ने पलट कर देखना , हम आज जैसे भी हैं कल भी वैसे ही मिलेंगे - ShareChat

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