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गज़ल वासिम बरेलवी #✒ शायरी
✒ शायरी - ೩ ೩ ೩ % % % "মড়াল" मैं आसमाँ पे बहुत देर रह नहीं सकता मगर ये बात ज़मीं से तो कह नहीं सकता किसी के चेहरे को कब तक निगाह में रक्खूँ में एक ही मंज़र तो रह नहीं सकता सफ़र ये आज़माने की फ़ुर्सत तुझे कभी मिल जाए मैं आँखों आँखों में क्या बात कह नहीं सकता सहारा लेना ही पडता है मुझ को दरिया का क़तरा हूँ तन्हा तो बह नहीं सकता मैं एक लगा के देख ले जो भी हिसाब आता हो मुझे घटा के वो गिनती में रह नहीं सकता ये चंद लम्हों की बे इख़्तियारियाँ हैं 'वसीम' गुनह से रिश्ता बहुत देर रह नहीं सकता। (वासिम बरेलवी) Motivational Videos App' Want ೩ ೩ ೩ % % % "মড়াল" मैं आसमाँ पे बहुत देर रह नहीं सकता मगर ये बात ज़मीं से तो कह नहीं सकता किसी के चेहरे को कब तक निगाह में रक्खूँ में एक ही मंज़र तो रह नहीं सकता सफ़र ये आज़माने की फ़ुर्सत तुझे कभी मिल जाए मैं आँखों आँखों में क्या बात कह नहीं सकता सहारा लेना ही पडता है मुझ को दरिया का क़तरा हूँ तन्हा तो बह नहीं सकता मैं एक लगा के देख ले जो भी हिसाब आता हो मुझे घटा के वो गिनती में रह नहीं सकता ये चंद लम्हों की बे इख़्तियारियाँ हैं 'वसीम' गुनह से रिश्ता बहुत देर रह नहीं सकता। (वासिम बरेलवी) Motivational Videos App' Want - ShareChat

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