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#😍ಯುಗಾದಿ ಆಚರಣೆ🏵️ गीता अध्याय 4 श्लोक 9 में कहा है कि हे अर्जुन! मेरे जन्म और कर्म दिव्य हैं। भावार्थ है कि काल ब्रह्म अन्य के शरीर में प्रवेश करके कार्य करता है। जैसे श्री कृष्ण जी ने प्रतिज्ञा कर रखी थी कि मैं महाभारत के युद्ध में किसी को मारने के लिए शस्त्र भी नहीं उठाऊँगा। श्री कृष्ण में काल ब्रह्म ने प्रवेश होकर रथ का पहिया उठाकर अनेकों सैनिकों को मार डाला। पाप श्री कृष्ण जी के जिम्मे कर दिए। प्रतिज्ञा भी समाप्त करके कलंकित किया। - जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज#गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला #SantRampalJiMaharajYouTubeChannel #bhagavadgita #gita #krishna #arjuna #bhagawadgita #consciousness #vedanta #reincarnation #meditation #lordkrishna #kaal #brahm #om #dailygita #sanatandharma #SantRampalJiMaharaj -
😍ಯುಗಾದಿ ಆಚರಣೆ🏵️ - अध्याय 4 का श्लोक 9 जन्म कर्म च मे॰ दिव्यम् एवम् यः वेत्ति तत्त्वतः  त्यक्त्वा, देहम पुनः जन्म न एति माम् एति सः, अर्जुन।। 9|| अनुवादः ( अर्जुन) हे अर्जुन। (मे) मेरे (जन्म) जन्म (च) और ( कर्म) कर्म (दिव्यम्) दिव्य अर्थात् अलौकिक है (एवम ) इस प्रकार (यः) जो मनुष्य ( तत्त्वतः ) तत्वसे (वेत्ति) लेता है (सः ) वह ( देहम् ) शरीरको (त्यक्त्चवा) त्यागकर  जान (पुनः) फिर ( जन्म) जन्मको (न एति) प्राप्त नहीं होता किंतु जो मुझ काल को तत्व से नहीं जानते (माम् ) मुझे ही (एति) प्राप्त होता है। (९) हिन्दीः हे अर्जुन। मेरे जन्म और कर्म दिव्य अर्थात्  अलौकिक हें इस प्रकार जो मनुष्य तत्वसे जान लेता है वह  शरीरको त्यागकर फिर जन्मको प्राप्त नहीं होता किंतु जो मुझ काल को तत्व से नहीं जानते मुझे ही प्राप्त होता है। गीता जी का ज्ञान किसने बोला ? गीता अध्याय 4 श्लोक 9 में कहा है कि हे अर्जुन मेरे जन्म और कर्म दिव्य हैं भावार्थ है कि काल ब्रह्म अन्य के शरीर में प्रवेश करके कार्य करता है जैसे श्री कृष्ण जी ने प्रतिज्ञा कर रखी थी कि मैं महाभारत के युद्ध में किसी को मारने के लिए शस्त्र भी श्री कृष्ण में काल ब्रह्म ने प्रवेश होकर रथ का पहिया नहीं उठाऊँगा उठाकर अनेकों सैनिकों को मार डाला पाप श्री कृष्ण जी के जिम्मे कर दिए प्रतिज्ञा भी समाप्त करके कलंकित किया जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज # নিঃযুল্ধ পাম पवित्र पुस्तक  अपना नॉम , पूरा पता भेजें ज्ञान गगा +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI f @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL JI MAHARAJ अध्याय 4 का श्लोक 9 जन्म कर्म च मे॰ दिव्यम् एवम् यः वेत्ति तत्त्वतः  त्यक्त्वा, देहम पुनः जन्म न एति माम् एति सः, अर्जुन।। 9|| अनुवादः ( अर्जुन) हे अर्जुन। (मे) मेरे (जन्म) जन्म (च) और ( कर्म) कर्म (दिव्यम्) दिव्य अर्थात् अलौकिक है (एवम ) इस प्रकार (यः) जो मनुष्य ( तत्त्वतः ) तत्वसे (वेत्ति) लेता है (सः ) वह ( देहम् ) शरीरको (त्यक्त्चवा) त्यागकर  जान (पुनः) फिर ( जन्म) जन्मको (न एति) प्राप्त नहीं होता किंतु जो मुझ काल को तत्व से नहीं जानते (माम् ) मुझे ही (एति) प्राप्त होता है। (९) हिन्दीः हे अर्जुन। मेरे जन्म और कर्म दिव्य अर्थात्  अलौकिक हें इस प्रकार जो मनुष्य तत्वसे जान लेता है वह  शरीरको त्यागकर फिर जन्मको प्राप्त नहीं होता किंतु जो मुझ काल को तत्व से नहीं जानते मुझे ही प्राप्त होता है। गीता जी का ज्ञान किसने बोला ? गीता अध्याय 4 श्लोक 9 में कहा है कि हे अर्जुन मेरे जन्म और कर्म दिव्य हैं भावार्थ है कि काल ब्रह्म अन्य के शरीर में प्रवेश करके कार्य करता है जैसे श्री कृष्ण जी ने प्रतिज्ञा कर रखी थी कि मैं महाभारत के युद्ध में किसी को मारने के लिए शस्त्र भी श्री कृष्ण में काल ब्रह्म ने प्रवेश होकर रथ का पहिया नहीं उठाऊँगा उठाकर अनेकों सैनिकों को मार डाला पाप श्री कृष्ण जी के जिम्मे कर दिए प्रतिज्ञा भी समाप्त करके कलंकित किया जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज # নিঃযুল্ধ পাম पवित्र पुस्तक  अपना नॉम , पूरा पता भेजें ज्ञान गगा +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI f @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL JI MAHARAJ - ShareChat

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