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#श्रीमद् भगवद गीता #गीता #भगवद गीता के सभी श्लोक #श्रीमद भगवद गीता उपदेश 🙏🙏 ##भगवद गीता🙏🕉️
श्रीमद् भगवद गीता - व्यवस्थितान्दृष्ट्ा धार्तराष्ट्रान् कपिध्वजः 372 शस्त्रसम्पाते धनुरुद्यम्य पाण्डवः সনূল वाक्यमिदमाह   महीपते हृषीकेशं तदा अर्जुन उवाच मेउच्युत सेनयोरुभयोर्मध्ये रथं स्थापय हे राजन्! इसके बाद कपिध्वज अर्जुनने मोर्चा बाँधकर डटे हुए धृतराष्ट्र - सम्बन्धियोंको देखकर, उस शस्त्र चलनेकी तैयारीके समय धनुष उठाकर हृषीकेश श्रीकृष्ण महाराजसे यह वचन कहा  हे अच्युत ! मेरे रथको दोनों सेनाओंके बीचमें खड़ा कोजिये II २०-२१ यावदेतान्निरीक्षेषहं योद्धुकामानवस्थितान् | कैर्मया योद्धव्यमस्मिन्रणसमुद्यमे सह और जबतक कि मैँ युद्धक्षेत्रमें डटे हुए युद्धके अभिलाषी इन विपक्षी योद्धाओंको भलीप्रकार देख लूँ कि इस युद्धरूप व्यापारमें मुझे किन- किनके साथ युद्ध करना योग्य है तबतक उसे खड़ा रखिये II २२ II योत्स्यमानानवेक्षेष्हं य एतेउत्र समागताः धार्तराष्ट्रस्य   दुर्बुद्धेर्युद्धे प्रियचिकीर्षवः दुर्बुद्धि दुर्योधनका हित चाहनेवाले जो- త్ెళ్ా जो ये राजा लोग इस सेनामें आये हैँ, 51 ಶ करनेवालोंको मैं देखूँगा II २३ II गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार व्यवस्थितान्दृष्ट्ा धार्तराष्ट्रान् कपिध्वजः 372 शस्त्रसम्पाते धनुरुद्यम्य पाण्डवः সনূল वाक्यमिदमाह   महीपते हृषीकेशं तदा अर्जुन उवाच मेउच्युत सेनयोरुभयोर्मध्ये रथं स्थापय हे राजन्! इसके बाद कपिध्वज अर्जुनने मोर्चा बाँधकर डटे हुए धृतराष्ट्र - सम्बन्धियोंको देखकर, उस शस्त्र चलनेकी तैयारीके समय धनुष उठाकर हृषीकेश श्रीकृष्ण महाराजसे यह वचन कहा  हे अच्युत ! मेरे रथको दोनों सेनाओंके बीचमें खड़ा कोजिये II २०-२१ यावदेतान्निरीक्षेषहं योद्धुकामानवस्थितान् | कैर्मया योद्धव्यमस्मिन्रणसमुद्यमे सह और जबतक कि मैँ युद्धक्षेत्रमें डटे हुए युद्धके अभिलाषी इन विपक्षी योद्धाओंको भलीप्रकार देख लूँ कि इस युद्धरूप व्यापारमें मुझे किन- किनके साथ युद्ध करना योग्य है तबतक उसे खड़ा रखिये II २२ II योत्स्यमानानवेक्षेष्हं य एतेउत्र समागताः धार्तराष्ट्रस्य   दुर्बुद्धेर्युद्धे प्रियचिकीर्षवः दुर्बुद्धि दुर्योधनका हित चाहनेवाले जो- త్ెళ్ా जो ये राजा लोग इस सेनामें आये हैँ, 51 ಶ करनेवालोंको मैं देखूँगा II २३ II गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार - ShareChat

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