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सन्तापाद् भ्रश्यते रुपं सन्तापाद् भ्रश्यते बलम् । सन्तापाद् भ्रश्यते ज्ञानं सन्तापाद् व्याधिमृच्छति॥ अर्थात 👉🏻 शोक करने से रूप-सौंदर्य नष्ट होता है , शोक करने से पौरुष नष्ट होता है , शोक करने से ज्ञान नष्ट होता है और शोक करने से मनुष्य का शरीर दुःखो का घर हो जाता है , अतः शोक करना त्याज्य है । 🌄🌄 प्रभातवंदन 🌄🌄 #☝अनमोल ज्ञान #🙏सुविचार📿
☝अनमोल ज्ञान - गीता में लिखा है, इंसान हमेशा अपने भाग्य को कोसता है, यह जानते हुए भी कि भाग्य से भी ऊंचा उसका कर्म है, जिसके स्वयं के हाथों में है। गीता में लिखा है, इंसान हमेशा अपने भाग्य को कोसता है, यह जानते हुए भी कि भाग्य से भी ऊंचा उसका कर्म है, जिसके स्वयं के हाथों में है। - ShareChat

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