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#Mai bahut khush hu agar
Mai bahut khush hu agar - लौटने पर शेष है या कुछ कि मेरे बाद कितना देखना है इस गली में कौन किसको याद कितना या खिलौने जो कि बचपन में दिखे, मिलते अभी हैं वस्त्र जो छोटे हुए, दर्ज़ी पुनः सिलते अभी हैं हर शरारत पर सुबह के फूल सा खिलते अभी है बड़ी-बूढ़ी आंख जिनको चूम कर लेती बलैयां देखना है शेष है उस समय से संवाद कितना क्या उन्हीं मोहक धुनों की बांसुरी हैं सीटियाँ भी रंगे चीनी के खिलौने और बजती घंटियाँ भी क्या वही है भीड़ जो थी कभी मेले में उमड़ती दूर तक लंबी कतारों में चलें ज्यों चींटियाँ थीं खुशबू लिये है या वही सजे मेले की मिठाई 'टाफियों ` के दौर में है लौटने पर शेष है या कुछ कि मेरे बाद कितना देखना है इस गली में कौन किसको याद कितना या खिलौने जो कि बचपन में दिखे, मिलते अभी हैं वस्त्र जो छोटे हुए, दर्ज़ी पुनः सिलते अभी हैं हर शरारत पर सुबह के फूल सा खिलते अभी है बड़ी-बूढ़ी आंख जिनको चूम कर लेती बलैयां देखना है शेष है उस समय से संवाद कितना क्या उन्हीं मोहक धुनों की बांसुरी हैं सीटियाँ भी रंगे चीनी के खिलौने और बजती घंटियाँ भी क्या वही है भीड़ जो थी कभी मेले में उमड़ती दूर तक लंबी कतारों में चलें ज्यों चींटियाँ थीं खुशबू लिये है या वही सजे मेले की मिठाई 'टाफियों ` के दौर में है - ShareChat

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