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#❤️जीवन की सीख
❤️जीवन की सीख - নিন; फसल सूख कर जल के "ভন तिनका-तिनका बन गिर जाए॰॰ फिर होने वाली वर्षा का, रह जाता कोई अर्थ नहीं...!" कटु वाणी से आहत हो, "মন भीतर तक छलनी हो जाए॰॰ फिर बाद कहे प्रियवचनों का, रह जाता कोई अर्थ नहीं...!" নিন; फसल सूख कर जल के "ভন तिनका-तिनका बन गिर जाए॰॰ फिर होने वाली वर्षा का, रह जाता कोई अर्थ नहीं...!" कटु वाणी से आहत हो, "মন भीतर तक छलनी हो जाए॰॰ फिर बाद कहे प्रियवचनों का, रह जाता कोई अर्थ नहीं...!" - ShareChat

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