ये गंवई कहां से कानून की डिग्री लिये हैं, किसने सीजेआई बना दिया।
इनको पता होना चाहिए कि उत्तर प्रदेश में जो बुलडोजर चल रहा है वह कानून और संविधान के हिसाब से ही चल रहा है।
संविधान कहता है कि आप अपनी स्वामित्व वाली जमीन पर ही निर्माण कार्य कर सकते हैं ।
आप सरकारी जमीन गोचर की जमीन पड़तर जमीन नजूल की जमीन ग्राम पंचायत की जमीन पर कोई निर्माण कार्य नहीं कर सकते।
कोई भी निर्माण कार्य करने के लिए आपको ग्राम पंचायत नगर पालिका नगर निगम से नक्शा पास कराना पड़ता है, मंजूरी लेनी पड़ती है और फीस जमा करना पड़ता है।
इसके साथ ही जो नक्शा पास कराया गया है निर्माण बिल्कुल वैसा ही होना चाहिए, आप उसमें फेर-बदल नहीं कर सकते।
और नगर निगम में नोटिफाइड क्षेत्र में जो आवासीय रिहायशी है वहां पर आप कोई कमर्शियल औधोगिक गतिविधियां संचालित नहीं कर सकते, यह गैर कानूनी है।
ऐसे सभी नियम का उलंघन होने पर संविधान कहता है कि उसे तोड़ दिया जाए।
खैर संविधान में यह नहीं लिखा है कि हथौड़े से तोड़ना है या बुलडोजर से।
ऊं का है कि हथौड़े से तोड़ने में मजदूर ज्यादा लगेंगे समय ज्यादा लगेगा खर्चा ज्यादा आएगा बुलडोजर से थोड़ा समय कम लगता है और मेहनत भी कम लगती है,
मैगी की तरह दो मिनट में काम रफा-दफा हो जाता है इसलिए बुलडोजर ज्यादा ठीक है।
कुछ लोग कहते हैं कि दंगे के बाद ही क्यों याद आई कि निर्माण अवैध है तो...
ऊं का है ना कि कुंडली उसी की खुलती है जो लपेटे में आता है।
आप भी लपेटे में आइए आपकी भी कुंडली खुल जाएगी।
बुल्डोजर कानून के दायरे में चल रहा है और चलता रहेगा।
और हां कुछ लोग गए तो थे तुम्हारे पास बुलडोजर कार्रवाई रोकने की मांग लेकर तुमने रोक भी लगा दिया था लेकिन...
योगी बाबा जानते हैं कि संविधान के हर अनुच्छेद में दस-दस छेंद है तो उन्होंने छेंद ढूंढ लिया और बुलडोजर चल रहा है और चलता रहेगा रोक सको तो रोक लो।
और अंत में देश कानून से चलता है बुलडोजर से नहीं तो कोर्ट भी मेरिट और परीक्षा से चलेगा कालेजियम से नहीं।
साभार पोस्ट #Mydiary✍️
