ShareChat
click to see wallet page
#✝चर्च
✝चर्च - [३] हमारा परमेश्वर तो स्वर्ग में हैं उसने जो चाहा वही किया है। [४] उन लोगों की मूरतें 31 सोने चाँदी ही की तो हैं॰ वे मनुष्यों के हाथ की बनाई हुई हैं [५] उनके मुँह तो रहता है S e परन्तु वे बोल नहीं सकती; उनके आँखें तो " रहती हैं परन्तु वे देख नहीं सकती। [६] सकुछथशिब्द नहनिकाल n న उनके कान तो रहते हैं परन्तु वे सुन नहीं सकती; उनके नाक तो रहती हैं परन्तु वे सूँघ नहीं सकती। [७] उनके हाथ तो रहते हैं परन्तु वे स्पर्श नहीं कर सकती; उनके पाँव तो रहते हैं परन्तु वे चल नहीं सकती; और उनके कण्ठ से कुछभी शब्द नहीं निकाल सकती। (भज. १35:16,17) डिलीट भजन संहिता ११५:३ ७ IRVHin [३] हमारा परमेश्वर तो स्वर्ग में हैं उसने जो चाहा वही किया है। [४] उन लोगों की मूरतें 31 सोने चाँदी ही की तो हैं॰ वे मनुष्यों के हाथ की बनाई हुई हैं [५] उनके मुँह तो रहता है S e परन्तु वे बोल नहीं सकती; उनके आँखें तो " रहती हैं परन्तु वे देख नहीं सकती। [६] सकुछथशिब्द नहनिकाल n న उनके कान तो रहते हैं परन्तु वे सुन नहीं सकती; उनके नाक तो रहती हैं परन्तु वे सूँघ नहीं सकती। [७] उनके हाथ तो रहते हैं परन्तु वे स्पर्श नहीं कर सकती; उनके पाँव तो रहते हैं परन्तु वे चल नहीं सकती; और उनके कण्ठ से कुछभी शब्द नहीं निकाल सकती। (भज. १35:16,17) डिलीट भजन संहिता ११५:३ ७ IRVHin - ShareChat

More like this