#bharmakumaris om shanti .....*योग का यथार्थ ज्ञान*.....
🏵️🏵️...*कोशिश कर अपने को आत्मा निश्चय करो तो बाप की याद भी रहेगी। देह में आने से फिर देह के सब सम्बन्ध याद आयेंगे। यह भी एक लॉ है।... किसकी रग टूटती नहीं है। पूछते हैं - बाबा यह क्या है! अरे, तुम नाम-रूप में क्यों फँसते हो। एक तो तुम देहाभिमानी बनते हो और दूसरा फिर तुम्हारा कोई पास्ट का हिसाब-किताब है, वह धोखा देता है*।...सा. बाबा 3.6.05 रिवा.
🏵️🏵️...*अगर योग नहीं लगता तो अवश्य ही इन्द्रियों द्वारा अल्पकाल के सुख प्राप्त कराने वाले और सदाकाल की प्राप्ति से वंचित कराने वाले कोई न कोई भोग भोगने में लगे हुए हैं, इसलिए अपने निजी कार्य को भूले हुए हैं। जैसे आजकल के सम्पत्ति वाले वा कलियुगी राजायें जब भोग-विलास में व्यस्त हो जाते हैं तो अपना निजी कार्य राज्य करना वा अपना अधिकार भूल जाते हैं। ऐसे ही आत्मा भी भोग भोगने में व्यस्त होने के कारण योग भूल जाती है।... जहाँ भोग है, वहाँ योग नहीं*।
*अ. बापदादा 16.10.75*..
