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#kalyug ka kalki #🌺भगवान कल्कि जयंती🌺 #भगबान कल्कि अवतार ❤🙏🏻 #KALKI RAJ #kalki
kalyug ka kalki - जय अहिंसा ऊँ विश्व शांति सत्यमेव जयते नवीन विश्व धर्म कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म का संदेश सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में एक ' ब्रह्म' ही परम सात्य है, एक ही ब्रह्म के दो सरूप , वो चरित्र है इो जाने विना ? मानव के लिए मृत्युलोक से मुक्ति का और कोई उपाय नहीहै। কrক মাঘক  केलात मोरन अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ईश्वरीय ज्ञानानुसार अरबों वर्ष पहले एक दिव्य महाशक्ति की मनोईच्छा से विशाल हुआ और सृष्टि में अनेक  ब्रह्माण्डकी उत्पति होकर सृष्टि का सृजन  हुआ| जो दिव्य महाशक्ति अनादि, प्रकार के जीवों का प्राकट्य अजन्मा , अनामी , निष्कलंक, निराकार , अजर-अमर , अविनाशी है, उस दिव्य महाशक्ति को मानव जगत के लोगों ने अपनी अपनी  भाषा व जाति - सम्प्रदाय के अनुसार अनेक नाम दे दिये।हे मानव तु जान सके तो स्वयं के विराट आत्मस्वरूप को जान ले, अपने भीतर विद्यमान उस दिव्य महाशक्ति के वैभव को जान ले, उस दिव्य महाशक्ति और तुझमें बस फर्क है इतना वो निर्गुण विराट आत्मस्वरूप है तेरा और तू सगुण जीवात्मस्वरूप है उसका अद्भूत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञानानुसार मानव निर्गुण ईश्वर का सगुण स्वरूप है। कर्मभूमि पर कर्मयोगी अपने  विदेही भाव में विराट सगुण   जीवात्मस्वरूप को त्यागकर आत्मस्वरूप निष्काम कर्मयोगी बनकर अपना आत्मकल्याण कर सकता है ।आत्मज्ञानी बनों अपना मानव जीवन सार्थक बनाओं अधिक जानकारी के Kalki Gyan Sagar एप डाउनलॉड करें लिए जय अहिंसा ऊँ विश्व शांति सत्यमेव जयते नवीन विश्व धर्म कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म का संदेश सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में एक ' ब्रह्म' ही परम सात्य है, एक ही ब्रह्म के दो सरूप , वो चरित्र है इो जाने विना ? मानव के लिए मृत्युलोक से मुक्ति का और कोई उपाय नहीहै। কrক মাঘক  केलात मोरन अद्भुत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ईश्वरीय ज्ञानानुसार अरबों वर्ष पहले एक दिव्य महाशक्ति की मनोईच्छा से विशाल हुआ और सृष्टि में अनेक  ब्रह्माण्डकी उत्पति होकर सृष्टि का सृजन  हुआ| जो दिव्य महाशक्ति अनादि, प्रकार के जीवों का प्राकट्य अजन्मा , अनामी , निष्कलंक, निराकार , अजर-अमर , अविनाशी है, उस दिव्य महाशक्ति को मानव जगत के लोगों ने अपनी अपनी  भाषा व जाति - सम्प्रदाय के अनुसार अनेक नाम दे दिये।हे मानव तु जान सके तो स्वयं के विराट आत्मस्वरूप को जान ले, अपने भीतर विद्यमान उस दिव्य महाशक्ति के वैभव को जान ले, उस दिव्य महाशक्ति और तुझमें बस फर्क है इतना वो निर्गुण विराट आत्मस्वरूप है तेरा और तू सगुण जीवात्मस्वरूप है उसका अद्भूत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ज्ञानानुसार मानव निर्गुण ईश्वर का सगुण स्वरूप है। कर्मभूमि पर कर्मयोगी अपने  विदेही भाव में विराट सगुण   जीवात्मस्वरूप को त्यागकर आत्मस्वरूप निष्काम कर्मयोगी बनकर अपना आत्मकल्याण कर सकता है ।आत्मज्ञानी बनों अपना मानव जीवन सार्थक बनाओं अधिक जानकारी के Kalki Gyan Sagar एप डाउनलॉड करें लिए - ShareChat

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