ShareChat
click to see wallet page
#praise the lord jesus ##🙏🏻प्रार्थना #यीशु❤️❤️ मसीह 🌹🌹का🌺🌺 सुसमाचार🙏🙏🙏 #यीशु सत्य वचन ✝️ #Daily Bible verses ✝️
praise the lord jesus - यीशु का अनुसरण करना.. दैनिक वचन २२४ परमेश्वर के मार्गों को जानना न तुम्हारी गति और "मेरे विचार और विचार एक समान नहीं है, तुम्हारे मेरी गति एक सी है।" (यशायाह ५५:८) परमेश्वर के विचार और उसके मार्ग हमारे विचारों और मार्गों के समान कुछ भी नहीं हैं। और वे हमारी मानवीय कल्पना से बहुत हैं। लेकिन अगर हमें परमेश्वर की सिद्ध इच्छा के द्रीनहं है  ஈர்சா और उसकी सेवा करनी है तो हमें परमेश्वर के मार्गों समझना होगा। यीशु ने इस धरती पर अपने जीवन के प्रत्येक समझा और उनमें   चला। में परमेश्वर के मार्गों को चरण परिणामस्वरूप, परमेश्वर उसके जीवन से बहुत प्रसन्न हुआ। वह परमेश्वर के मार्गों को इसलिए नहीं समझ सका क्योंकि वह परमेश्वर का पुत्र था (वह मनुष्य के पुत्र के रूप में नीचे आया था); बल्कि इसलिए कि वह हमेशा परमेश्वर की संगति में रहता खुद को दीनता और गहरी भक्ति (भय) के साथ परमेश्वर था और के हाथों में सौंप देता था। लिखा है, " परमेश्वर उनका मित्र है जो भय मानते हैं। वह उन्हें अपनी वाचा सिखाता है।" उसका (भजनसंहिता २५ः१४)| और, "परमेश्वर दीन लोगों पर अपना हृदय प्रकट करता है।" (मत्ती 1 १:२५) | इसलिए परमेश्वर ने अपने हृदय को यीशु पर प्रकट किया, और वह परमेश्वर के दृष्टिकोण फ से सब कुछ समझने में सक्षम था। वह हमेशा जानता था कि करना है और क्या नहीं करना है; कब करना है और कब करना है। क्या हमारे पास दीनता और परमेश्वर का भय है यीशु के पास था? क्या हम यीशु की तरह परमेश्वर के समझ रहे हैं और उनमें चल रहे हैं? क्या परमेश्वर हमारे जीवन से সমন ই? हम परमेश्वर के मार्गों को यीशु की तरह तभी समझ सकते हैं, जब हम दीन हों और परमेश्वर का भय मानते हों जैसे उसने किया। देनिक बचन " प्राप्त करत केलिए कृपया HIN SINDD लिखकर नीचे दिये राय नवर पर सद्देश भजे। को हर दिन Wharsapp मे =ப -91 91829-40369 Voicein the wilderness यीशु का अनुसरण करना.. दैनिक वचन २२४ परमेश्वर के मार्गों को जानना न तुम्हारी गति और "मेरे विचार और विचार एक समान नहीं है, तुम्हारे मेरी गति एक सी है।" (यशायाह ५५:८) परमेश्वर के विचार और उसके मार्ग हमारे विचारों और मार्गों के समान कुछ भी नहीं हैं। और वे हमारी मानवीय कल्पना से बहुत हैं। लेकिन अगर हमें परमेश्वर की सिद्ध इच्छा के द्रीनहं है  ஈர்சா और उसकी सेवा करनी है तो हमें परमेश्वर के मार्गों समझना होगा। यीशु ने इस धरती पर अपने जीवन के प्रत्येक समझा और उनमें   चला। में परमेश्वर के मार्गों को चरण परिणामस्वरूप, परमेश्वर उसके जीवन से बहुत प्रसन्न हुआ। वह परमेश्वर के मार्गों को इसलिए नहीं समझ सका क्योंकि वह परमेश्वर का पुत्र था (वह मनुष्य के पुत्र के रूप में नीचे आया था); बल्कि इसलिए कि वह हमेशा परमेश्वर की संगति में रहता खुद को दीनता और गहरी भक्ति (भय) के साथ परमेश्वर था और के हाथों में सौंप देता था। लिखा है, " परमेश्वर उनका मित्र है जो भय मानते हैं। वह उन्हें अपनी वाचा सिखाता है।" उसका (भजनसंहिता २५ः१४)| और, "परमेश्वर दीन लोगों पर अपना हृदय प्रकट करता है।" (मत्ती 1 १:२५) | इसलिए परमेश्वर ने अपने हृदय को यीशु पर प्रकट किया, और वह परमेश्वर के दृष्टिकोण फ से सब कुछ समझने में सक्षम था। वह हमेशा जानता था कि करना है और क्या नहीं करना है; कब करना है और कब करना है। क्या हमारे पास दीनता और परमेश्वर का भय है यीशु के पास था? क्या हम यीशु की तरह परमेश्वर के समझ रहे हैं और उनमें चल रहे हैं? क्या परमेश्वर हमारे जीवन से সমন ই? हम परमेश्वर के मार्गों को यीशु की तरह तभी समझ सकते हैं, जब हम दीन हों और परमेश्वर का भय मानते हों जैसे उसने किया। देनिक बचन " प्राप्त करत केलिए कृपया HIN SINDD लिखकर नीचे दिये राय नवर पर सद्देश भजे। को हर दिन Wharsapp मे =ப -91 91829-40369 Voicein the wilderness - ShareChat

More like this