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कोर्ट से मिली बेल, छूटकर आए आरोपी बाहर जेल से, जो करे गुनाह फिर से, कैसे देते हैं उन्हें बेल, सवाल पूछे न्यायदान को, कैसे न्यायदान का यह तरीका है... गुनाह करते है मुजरिम फिर, मांग रहे रिहा करने हेतु बेल, न्यायदान की यही किताब में, लिखित यही बड़ी गलती है... गुनाह करके पकड़ा जाए गुनहगार तो, उसे साबित करने हेतु, न्यायदान की समय व्यापक प्रतीकता की बड़ी लंबी मिली अवधि.... तब तक तो रखो उन सब को जेल में, गुनाह साबित हो गया फिर तो, शिक्षा अवधि को गिने उस दिन से... यही होगी जुर्म करने वाले हर गुनहगार की वही बड़ी सजा, साल की रद्द बंद कर दो सारी संचित छुट्टियां... गुनहगार तो गुनहगार ही होता है, छुट्टियां, बेल, जैसे शब्द की खेल को, कानूनी किताब की दायरों में लिखी मिली छूट का, गलत फायदा उठाता है... अब बाहर ही निकाल दो, पकड़ा गया आरोपी, आरोपों में मिलजुल कर जो, सीधे उन्हें उसी वक्त कड़ी से कड़ी सजा, मिठास में ही दे दो... यही तो उनकी सजा है, नहीं तो वैसे ही होगा.. बेल पर जेल से मिली राहत, फिर नई गुनाह को आरोपी तलाश में, अंजाम देगा.... फिर ढूंढ हुवे पुलिस मुजरिम को, कंट्रोल रूम को इतल्लाह करने का फरमान होगा... वाह रे कानून की कमजोरियां लिखी किताबों में तेरी, बेल और संचित मिले छुट्टियां तो आरोपी को चैन से राहत, आराम होगा... नहीं जाएगा जेल तो, पुलिस को ढूंढने का फरमान कोर्ट से जारी होगा.. *स्नेहल एम* (पत्रकार, लेखक,कवी,शायर सामाजिक कार्यकर्ता) #💞Heart touching शायरी✍️ #✡️सितारों की चाल🌠 #💝 शायराना इश्क़ #🙏कर्म क्या है❓

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