ShareChat
click to see wallet page
#गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला अध्याय 11 श्लोक 47 में पवित्र गीता जी को बोलने वाले प्रभु काल ने कहा है कि ‘हे अर्जुन! यह मेरा वास्तविक काल रूप है, जिसे तेरे अतिरिक्त पहले किसी ने नहीं देखा था।‘ सिद्ध हुआ कि कौरवों की सभा में विराट रूप श्री कृष्ण जी ने दिखाया था तथा कुरूक्षेत्र में युद्ध के मैदान में विराट रूप काल ने दिखाया था। नहीं तो यह नहीं कहता कि यह विराट रूप तेरे अतिरिक्त पहले किसी ने नहीं देखा है। क्योंकि श्री कृष्ण जी अपना विराट रूप कौरवों की सभा में पहले ही दिखा चुके थे जो अनेकों ने देखा था। Sant RampalJi YT Channel
गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला - अध्याय ११ का श्लोक ४७ (भगयान उवाच मया, प्रसननेन नव अर्जुन इदम रूपम परम दर्शितम  आत्मयोगातू तेजोमयम विश्वम अनन्तम आद्यम यत् मे त्वदन्येन न {ైETaTTII471 / अनुवादः ( अर्जुन) हे अर्जुन। ( प्रसननेन) अनुग्रहपूर्वक (मया ) र्मैने ( आत्मयोगान) अपनी योगशक्तिके प्रभावसे (इदम्) यह मेरा (परम् ) परम (तेजोमयम ) तेजोमय ( आद्यम) FT सबका आदि ओर ( अनन्तम) सीमारहित ( विश्वम (रूपम) रूप (नव) नुझको ( दर्शितम) दिखलाया है (यन्) जिसे (त्वदन्येन ) तेरे अतिरिक्त दूसरे किसीने (न दृष्टपूर्वम पहले नहीं देखा था। (४७ ) हिन्दीः हे अर्जुन। अनुग्रहपूर्वक र्मैने अपनी योगशक्तिके " प्रभावसे यह मेरा परम तेजोमय सबका आदि ओर तुझ्को दिखलाया है जिसे तेरे  Fr सीमारहित  Fப गीता जीका : अतिरिक्त दूसरे किसीने पहले नहीं देखा था। ज्ञान किसने बोला? ४७ में पवित्र गीता जी को बोलने वाले प्रभु काल ने कहा है कि 'हे अर्जुन! সংযায 11 হলীকক किसी ने नहीं देखा था। ' यह मेरा वास्तविक काल रूप है, जिसे तेरे अतिरिक्त " पहले सिद्ध हुआ कि कौरवों की सभा में विराट रूप श्री कृष्ण जी ने दिखाया था तथा कुरूक्षेत्र में युद्ध के मैदान में विराट रूप काल ने दिखाया था। नहीं तो यह नहीं कहता कि यह विराट रूप तेरे अतिरिक्त पहले किसी ने नहीं देखा है। क्योंकि श्री कृष्ण जी अपना विराट रूप कौरवों की सभा में पहले ही दिखा चुके थे जो अनेकों ने देखा था। जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज নিঃযু্কে पवित्र पस्तक ப अपना नाम, परा पता मेजे নান যযা +91 7496801825 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI 0 @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ अध्याय ११ का श्लोक ४७ (भगयान उवाच मया, प्रसननेन नव अर्जुन इदम रूपम परम दर्शितम  आत्मयोगातू तेजोमयम विश्वम अनन्तम आद्यम यत् मे त्वदन्येन न {ైETaTTII471 / अनुवादः ( अर्जुन) हे अर्जुन। ( प्रसननेन) अनुग्रहपूर्वक (मया ) र्मैने ( आत्मयोगान) अपनी योगशक्तिके प्रभावसे (इदम्) यह मेरा (परम् ) परम (तेजोमयम ) तेजोमय ( आद्यम) FT सबका आदि ओर ( अनन्तम) सीमारहित ( विश्वम (रूपम) रूप (नव) नुझको ( दर्शितम) दिखलाया है (यन्) जिसे (त्वदन्येन ) तेरे अतिरिक्त दूसरे किसीने (न दृष्टपूर्वम पहले नहीं देखा था। (४७ ) हिन्दीः हे अर्जुन। अनुग्रहपूर्वक र्मैने अपनी योगशक्तिके " प्रभावसे यह मेरा परम तेजोमय सबका आदि ओर तुझ्को दिखलाया है जिसे तेरे  Fr सीमारहित  Fப गीता जीका : अतिरिक्त दूसरे किसीने पहले नहीं देखा था। ज्ञान किसने बोला? ४७ में पवित्र गीता जी को बोलने वाले प्रभु काल ने कहा है कि 'हे अर्जुन! সংযায 11 হলীকক किसी ने नहीं देखा था। ' यह मेरा वास्तविक काल रूप है, जिसे तेरे अतिरिक्त " पहले सिद्ध हुआ कि कौरवों की सभा में विराट रूप श्री कृष्ण जी ने दिखाया था तथा कुरूक्षेत्र में युद्ध के मैदान में विराट रूप काल ने दिखाया था। नहीं तो यह नहीं कहता कि यह विराट रूप तेरे अतिरिक्त पहले किसी ने नहीं देखा है। क्योंकि श्री कृष्ण जी अपना विराट रूप कौरवों की सभा में पहले ही दिखा चुके थे जो अनेकों ने देखा था। जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज নিঃযু্কে पवित्र पस्तक ப अपना नाम, परा पता मेजे নান যযা +91 7496801825 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI 0 @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ - ShareChat

More like this