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Sadako Sasaki — एक नन्ही लड़की जिसने Hiroshima के बाद भी उम्मीद बनाए रखी; 2 साल की उम्र में बम गिरने पर झुलसी, फिर 12 साल की उम्र में रेडिएशन-जनित ल्यूकेमिया से निधन हुआ और अपने इलाज के दौरान वह हज़ारों paper cranes बनाने लगी क्योंकि जापानी लोककथा के अनुसार 1,000 परिंदे (सेंज़ाबुरु) से मनोकामना पूरी होती है — यह क्रिया सांस्कृतिक और эмоционल रूप से गहरी है लेकिन मेडिकल रूप से कोइ इलाज नहीं है (यह रेडिएशन और कैंसर के कारणों का वैज्ञानिक विषय है)। Sadako की कहानी ने Peace की ताकत का global प्रतीक बनाया — स्मारक और क्रेन्स आज भी दुनिया भर में श्रद्धांजलि के रूप में रखे जाते हैं और हाल में Seattle के एक Peace Park से उनकी मूर्ति चोरी होने की खबर ने समानुभूति और विवाद दोनों उभारे हैं, जो यह दिखाता है कि उनका प्रतीक आज भी जीवंत और संवेदनशील है। आइए याद रखें: क्रेन्स उम्मीद और शांति का cultural знак हैं, वैज्ञानिक सत्य को भ्रमित न करें — सम्मान और शिक्षा से ही शांति की वास्तविक दिशा बनती है। 🕊️✨🧒🏻🎗️ #Sadako #ThousandCranes #Hiroshima #Peace @sadako Sasaki @I hate my life @SADAKO HEROBRINE STORM @Sada Rohit Sadako @sadako❤☺ #Sadako #😂 Kids फनी वीडियो👶 #😁 फनी कार्टून वीडियो 😸 #✈Last travel memories😎 #🚗🧗🏻भारत भ्रमण व सफर प्रेमी🚂⛰
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