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#जय श्री वृन्दावन बिहारी लाल #🌸 जय श्री कृष्ण😇 🌼 मीरा और श्रीकृष्ण का दिव्य प्रेम 🌼 मेवाड़ की राजकुमारी मीरा बचपन से ही कृष्ण को अपना सखा, स्वामी और प्राण मानती थीं। जब बाकी बच्चे खिलौनों से खेलते थे, मीरा अपनी छोटी-सी कृष्ण प्रतिमा से बातें करतीं, उसे सुलातीं, जागातीं, और कहतीं— “तुम मेरे हो, बस मेरे ही श्याम।” समय बीतता गया, लेकिन मीरा का प्रेम नहीं बदला— वह और गहरा होता चला गया। राजमहल की चमक, धन–वैभव, सोने–चाँदी— कुछ भी उन्हें आकर्षित नहीं कर सका। _उनके हृदय में बस एक ही नाम गूँजता—_ _“श्रीकृष्ण… मेरे ठाकुर…”_ जब दुनिया ने उन्हें रोका, ताने दिए, उनके प्रेम को पागलपन कहा— मीरा मुस्कुराईं और बोलीं— “जो प्रेम दुनिया से पूछा जाए, वह प्रेम कैसा? मेरा श्याम तो मेरे मन में बसता है, यह कोई बाहरी बंधन थोड़े है।” एक दिन उन्होंने अपने कक्ष का द्वार बंद कर दिया। अंदर से सिर्फ एक आवाज आई— “श्याम, आज मैं आ गई… सदा-सदा के लिए।” _जब द्वार खोला गया, मीरा कहीं नहीं थीं…सिर्फ श्रीकृष्ण की मूर्ति के चरणों में उनका आँचल पड़ा था।_ कहते हैं— उनके तन का अस्तित्व कृष्ण में विलीन हो गया। मीरा श्याम की होकर ही जीं… और श्याम में ही समा गईं।
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