ShareChat
click to see wallet page
#✒️ કવિની કલમ
✒️ કવિની કલમ - केसे मरते मरते जीते है ये इंसान। अपने साये से भी डरते है ये इंसान। कुछ पानेकी ख्वाइश में दौड़ते रहेते है, फिर सर के बल गिरते हैये इंसान। मिले तो जूक जूक के करते है सलाम , फिर पीछे से वार करते हैये इंसान। लिए मोम बनाया ম যীথানী ক दुनिया पत्थर दिल अंधेरों में जीते है ये इंसान। रिश्तों के तखदूस खुद बनाए है उसने , रिश्तों को नापाक करते है ये इंसान। जख्मभी दर्दभी, प्यार और नफरत भी, जो मतलब सा लगे वो देते है ये इंसान। से लगादे   किसी की जिंदगी में आग, चुपके निकले धुआ तो आग से डरते है ये इंसान। नकाब कितने हटाओगे उनके चहेरेसे, हर पल एक नया चहेरा दिखाते है ये হসান | अनिल भट्ट केसे मरते मरते जीते है ये इंसान। अपने साये से भी डरते है ये इंसान। कुछ पानेकी ख्वाइश में दौड़ते रहेते है, फिर सर के बल गिरते हैये इंसान। मिले तो जूक जूक के करते है सलाम , फिर पीछे से वार करते हैये इंसान। लिए मोम बनाया ম যীথানী ক दुनिया पत्थर दिल अंधेरों में जीते है ये इंसान। रिश्तों के तखदूस खुद बनाए है उसने , रिश्तों को नापाक करते है ये इंसान। जख्मभी दर्दभी, प्यार और नफरत भी, जो मतलब सा लगे वो देते है ये इंसान। से लगादे   किसी की जिंदगी में आग, चुपके निकले धुआ तो आग से डरते है ये इंसान। नकाब कितने हटाओगे उनके चहेरेसे, हर पल एक नया चहेरा दिखाते है ये হসান | अनिल भट्ट - ShareChat

More like this