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#श्रीमद् भगवद गीता #मित्र #गीता #🙏 प्रेरणादायक विचार #❤️जीवन की सीख
श्रीमद् भगवद गीता - तस्य सञ्जनयन् हर्षं कुरुवृद्धः पितामहः सिंहनादं विनद्योच्चैः शङ्खं दध्मौ प्रतापवान् ।। कौरवोंमें वृद्ध बड़े प्रतापी पितामह भीष्मने उस दुर्योधनके हृदयमें हर्ष उत्पन्न करते हुए उच्च स्वरसे सिंहकी दहाड़के समान गरजकर शंख बजाया II १२ II पणवानकगोमुखाः ततः शङ्खाश्च भेर्यश्च ( सहसैवाभ्यहन्यन्त स शब्दस्तुमुलोडभवत् | इसके पश्चात् शंख और नगारे तथा ढोल, मृदंग और नरसिंघे आदि बाजे एक साथ ही बज उठे। उनका वह शब्द बड़ा भयंकर हुआ II १३ II श्वेतै्हयैर्युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ 7: माधवः पाण्डवश्चैव दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः I१  इसके अनन्तर सफेद घोड़ोंसे युक्त उत्तम रथमें ೩ಕಊ अर्जुनने भी अलौकिक சிதனா महाराज और siq aT II ?8 Il पाञ्चजन्यं   हृषीकेशो   देवदत्तं धनञ्जयः | पौण्ड्रं दध्मौ महाशङ्खं भीमकर्मा वृकोदरः I। श्रीकृष्ण  महाराजने पाञ्चजन्यनामक,   अर्जुनने देवदत्तनामक और भयानक कर्मवाले भीमसेनने पौण्ड्रनामक महाशंख बजाया Il १५ II गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार तस्य सञ्जनयन् हर्षं कुरुवृद्धः पितामहः सिंहनादं विनद्योच्चैः शङ्खं दध्मौ प्रतापवान् ।। कौरवोंमें वृद्ध बड़े प्रतापी पितामह भीष्मने उस दुर्योधनके हृदयमें हर्ष उत्पन्न करते हुए उच्च स्वरसे सिंहकी दहाड़के समान गरजकर शंख बजाया II १२ II पणवानकगोमुखाः ततः शङ्खाश्च भेर्यश्च ( सहसैवाभ्यहन्यन्त स शब्दस्तुमुलोडभवत् | इसके पश्चात् शंख और नगारे तथा ढोल, मृदंग और नरसिंघे आदि बाजे एक साथ ही बज उठे। उनका वह शब्द बड़ा भयंकर हुआ II १३ II श्वेतै्हयैर्युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ 7: माधवः पाण्डवश्चैव दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः I१  इसके अनन्तर सफेद घोड़ोंसे युक्त उत्तम रथमें ೩ಕಊ अर्जुनने भी अलौकिक சிதனா महाराज और siq aT II ?8 Il पाञ्चजन्यं   हृषीकेशो   देवदत्तं धनञ्जयः | पौण्ड्रं दध्मौ महाशङ्खं भीमकर्मा वृकोदरः I। श्रीकृष्ण  महाराजने पाञ्चजन्यनामक,   अर्जुनने देवदत्तनामक और भयानक कर्मवाले भीमसेनने पौण्ड्रनामक महाशंख बजाया Il १५ II गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार - ShareChat

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