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#kavita #kavita sangrha
kavita - अकाई २ः जीव जगत हुआ सवेरा हुआ सवेरा चि़ड़ियाँ बोलीं बच्चों ने तब आँखें खोलीं अच्छे नच्च मंजन करते मंजन करके कुल्ला करते कुल्ला करके मुँह को धोते मुँह धो करके रोज नहाते रोज खाना   खाते नहाकर पढने खाना खाकर 301|20 eaep _ सामार (q V 0 बेसिक Mिता परिगद @ Vd'io 11 .50 SAPN 2 22 अकाई २ः जीव जगत हुआ सवेरा हुआ सवेरा चि़ड़ियाँ बोलीं बच्चों ने तब आँखें खोलीं अच्छे नच्च मंजन करते मंजन करके कुल्ला करते कुल्ला करके मुँह को धोते मुँह धो करके रोज नहाते रोज खाना   खाते नहाकर पढने खाना खाकर 301|20 eaep _ सामार (q V 0 बेसिक Mिता परिगद @ Vd'io 11 .50 SAPN 2 22 - ShareChat

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